मुरादाबाद 28 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद में समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय को लेकर चल रहे विवाद मामले में मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें जस्टिस जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की डिवीजन बेंच ने जिला प्रशासन के कार्यालय खाली कराने के आदेश को रद्द कर दिया और यथास्थिति बनाए रखने का का आदेश जारी. इस फैसले से सपा को बड़ी राहत मिली है.
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी यथास्थिति का आदेश दिया था और अब कार्रवाई पर पूरी तरह रोक लगा दी है. कोर्ट ने प्रशासन के दावों को खारिज कर दिया. शहर के सिविल लाइन्स स्थित चक्कर की मिलक में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय 1994 से चल रहा है. यह भवन मुलायम सिंह यादव को आवंटित किया गया था. इसका किराया पहले 250 रुपए महीने और फिर बढ़कर 500 रुपए हो गया था, जो नियमित जमा हो रहा है.
अगस्त में अचानक जिला प्रशासन आवंटन रद्द करते हुए दो सप्ताह में कार्यालय खाली करने का नोटिस दिया, जिसमें अवैध कब्जे का दावा किया गया. नगर निगम की सम्पत्ति के रूप में इसे कब्जे में लेने की तैयारी थी. समाजवादी पार्टी ने इस राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित कार्रवाई बताया और इसका विरोध किया था. लेकिन प्रशासन के हठी रवैये के बाद सपा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
समाजवादी पार्टी ने अपनी याचिका में प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में कहा कि कार्यालय में कोई अवैध कब्जा नहीं है. लगातार जिला पार्टी कार्यालय के रूप में उपयोग हो रहा है. यहां जनता की समस्याएं सुनीं जातीं हैं.
सपा और जिला प्रशासन के बीच विवाद की सुनवाई जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की डिवीजन बेंच में हुई. सपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन, विनीत विक्रम और कुणाल शाह ने पक्ष रखा. दलील दी कि 1994 के आवंटन के बाद कोई नामांतरण या रद्दीकरण की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रशासन के आदेश को रद्द कर दिया और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. इससे पहले 9 अक्टूबर की सुनवाई में कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए यथास्थिति के इर्देश दिए थे और 28 अक्टूबर की तारीख तय की गयी थी.

