कानपुर 10 दिसंबर। मिशन चंद्रयान के माध्यम से भारत की तैयारी चंद्रमा पर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की है। इसके लिए जापान के साथ मिलकर इसरो के विज्ञानी काम कर रहे हें। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजे गए चंद्रयान-3 की रिपोर्ट के आधार पर 2029 में चंद्रयान-5 को भेजा जाएगा। इस मिशन में चांद पर खोदाई कर पानी की तलाश की जाएगी। इसरो के पूर्व चेयरमैन और आंध्रप्रदेश सरकार के मुख्य अंतरिक्ष सलाहकार डा. एस सोमनाथ ने यह बात यदुपति सिंहानिया मेमोरियल लेक्चर के दूसरे संस्करण में मुख्य अतिथि के तौर अपने व्याख्यान में यह बात कही।
उन्होंने बताया कि अमेरिका , फ्रांस समेत कई देशों के साथ इसरो के विज्ञानी विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। जापान के विज्ञानियों के साथ चंद्रयान – 5 के तहत चंद्रमा पर पानी के लिए खोदाई की योजना पर काम हो रहा है। इससे पता चल जाएगा कि चंद्रमा पर पानी कितनी गहराई में मौजूद है। चंद्रयान-5 भी दक्षिणी ध्रुव पर ठीक उसी जगह भेजा जाएगा, जहां चंद्रयान-3 गया था। 2035 तक भारतीय स्पेस स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय उतारने के साथ ही भारत की योजना चंद्रमा पर बेस स्टेशन बनाने की है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष नीतियों ने दशकों तक इसे निजी क्षेत्र से दूर कर रखा था लेकिन नई स्पेस पालिसी 2023 के तहत सरकार ने निजी क्षेत्र के लिए इसे खेाल दिया है। अब कोई भी निजी कंपनी स्पेस टेक्नोलाजी के क्षेत्र में स्टार्टअप या उद्यम कर सकती है और इसरो से सभी तकनीकी सहायता भी ले सकती है।
चंद्रयान तीन से मिले नमूनों का उल्लेख करते हुए बताया कि पानी और चंद्रमा पर बदले वातावरण को लेकर कई शोध पत्र सामने आ चुके हैं। 2028 में चंद्रयान-4 को भेजने की तैयारी है। नासा और इसरो साथ मिलकर निसार मिशन पर काम कर रहे हैं इसके तहत पृथ्वी की सतह, बफीर्ले हिस्सों, महासागर की ग्लोबल मैपिंग की जाएगी। एस बैंड और एल बैंड रडार की मदद से पृथ्वी की सतह में होने वाले छोटे -छोटे बदलावों खेती, जंगल, जमीन की दरारों और समुद्री हलचलों के बारे में जाना जा सकेगा। फ्रांस और भारत भी मिलकर तृष्णा प्राेजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

