प्रयागराज, 17 सितंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मां के सरकारी सेवा में रहने का तथ्य छिपाकर पिता की जगह मृतक आश्रित में नौकरी पाने वाले पुत्र के पक्ष में एकल पीठ के निर्णय पर रोक लगा दी है। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध दाखिल राज्य सरकार की विशेष अपील स्वीकार कर ली है।
कोर्ट न यह आदेश पंचायती राज विभाग की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया है। अपील में एकल पीठ के गत 18 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई थी। मामले के तथ्यों के अनुसार जिला पंचायत राज अधिकारी बस्ती ने 28 अगस्त 2021 को याची राहुल की मृतक आश्रित में हुई नियुक्ति समाप्त कर दी थी। सेवा समाप्त करने का आधार लिया गया था कि राहुल ने पिता की मृत्यु के बाद उनके आश्रित के रूप में नौकरी पाने के लिए इस तथ्य को नहीं बताया कि उसकी मां बतौर सहायक अध्यापक सरकारी नौकरी में है।
एकल पीठ के समक्ष याची का कहना था कि उसने जो फार्म मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए भरा था, उसमें ऐसा कोई कॉलम नहीं था, जिसमें मां की नौकरी का उल्लेख करना जरूरी था. उसका कहना था कि उसने कोई तथ्य नहीं छिपाया है. यह भी कहा गया कि उसे नौकरी करते 10 साल से ऊपर हो गया था, ऐसी स्थिति में भले ही अवैध नौकरी हो उसे सेवा से हटाना गलत है.
विशेष अपील में सरकार का कहना था कि मृतक आश्रित कोटे में नौकरी की पहली शर्त यह है कि मृतक कर्मचारी यदि पति है तो पत्नी और यदि पत्नी है तो पति, सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए. कहा गया कि यह प्रावधान मृतक आश्रित सेवा नियमावली के नियम 6 में दिया गया है. मां सरकारी नौकरी में टीचर के रूप में कार्यरत है यदि पहले से याची ने बता दिया होता तो उसे मृतक आश्रित कोटे में नौकरी नहीं मिल सकती थी. यही कारण है कि याची ने इसे जानबूझकर छिपा लिया और पिता की जगह सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली.

