लखनऊ,09 सितंबर। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि राजनीतिक दलों द्वारा जाति आधारित रैलियों को रोकने के 11 जुलाई 2013 के आदेश का अनुपालन कैसे किया गया। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए केंद्र सरकार से भी जातीय रैलियों के सम्बंध में उसका पक्ष पूछा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पिछले 10 सालों में हुई जातीय रैलियों का विवरण मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
इस मामले में कोर्ट पहले ही भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा को नोटिस जारी कर चुका है। लेकिन कोई भी दल अब तक सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखने को कहा है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को जाति आधारित रैलियों पर अंतरिम रोक लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि जातीय व्यवस्था समाज को बांटती है और भेदभाव पैदा करती है। जाति आधारित रैलियों की अनुमति देना संविधान की भावना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होगी।