मुजफ्फरनगर 27 सितंबर। साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के बीच मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक बड़े गिरोह का पदार्फाश करते हुए एक और शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह खुद को जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करता था और उनसे करोड़ों की ठगी करता था। अब तक की जांच में करीब आठ करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की परतें खुल चुकी हैं।
शुक्रवार को पुलिस लाइन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में पुलिस अधीक्षक अपराध इन्दु सिद्धार्थ ने मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम थाना पुलिस टीम ने राजस्थान के गंगानगर जिले के रहने वाले दीपक जाखड़ को गिरफ्तार किया है, जो खुद को विभिन्न जांच एजेंसियों और न्यायालयों का अधिकारी बताकर आम नागरिकों को निशाना बनाता था। उसके कब्जे से एक मोबाइल फोन, छह पासबुक, 07 डेविट कार्ड, 08 चेकबुक और एक सिम कार्ड बरामद किया गया है। पुलिस अधीक्षक अपराध ने बताया कि एक सेवानिवृत्त इंजीनियर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। अभियुक्तों ने पहले उन्हें ट्राई अधिकारी बनकर फोन किया और बताया कि उनके नाम से खुले एक बैंक खाते में अवैध लेन-देन हुआ है कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (अवैध धन का लेन-देन) की जांच चल रही है। इसके बाद सीबीआई और कोर्ट अधिकारी बनकर आरोपियों ने पीड़ित को डराया और एक फर्जी प्रार्थना पत्र लिखवाया। “डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर फर्जी अदालती लेटर हेड और फाइलें भेजकर उन्हें भयभीत कर दिया गया, पीड़ित से कुल 33,33,000 रुपये की ठगी की गई। इस गिरोह के एक सदस्य को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी। अब उसके साथी दीपक जाखड़ को दबोचा गया है।
पूछताछ में दीपक ने बताया कि उसकी मुलाकात राहुल भाधू नामक व्यक्ति से हुई थी, जिसने उसे ट्रेडिंग के बहाने फर्जी खातों की जरूरत बताई। दीपक ने खुद और अन्य लोगों के बैंक खाते खुलवाकर उनकी किट राहुल को सौंप दी, जिसके बदले उसे प्रति खाते 12,000 से 15,000 रुपये मिलते थे। खातों में रकम आने के बाद दीपक खुद एटीएम से पैसे निकालकर राहुल के बताए खातों में जमा कर देता था। इस काम में उसके साथ करन, अमित और विशाल चौधरी भी शामिल हैं।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जांच में लगी महिला पुलिसकर्मियों मुख्य आरक्षी मीनाक्षी और आरक्षी अंशु ने जब समन्वय पोर्टल पर जांच की तो जिन पांच खातों की जानकारी सामने आई, उनमें अब तक करीब 7 करोड़ 97 लाख 33 हजार 990 रुपये की ठगी से जुड़ी 12 शिकायतें दर्ज पाई गई हैं। उन्होंने इस सफलता के लिए साइबर थाने के प्रभारी निरीक्षक सुल्तान सिंह और उनकी टीम की प्रशंसा की।