गुवाहाटी 18 अक्टूबर। गुवाहाटी में सोमवार की शाम एक हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामले ने सरकारी सिस्टम की सच्चाई को उजागर कर दिया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के कार्यकारी निदेशक और क्षेत्रीय प्रमुख मैसनाम रितेन कुमार सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह कोई सामान्य घूसखोरी का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्ट तंत्र की बानगी है।
CBI को पहले से ही खबर मिल चुकी थी कि एक सरकारी अधिकारी एक ठेकेदार से मोटी रकम की उगाही करने वाला है। इसके बाद जांच एजेंसी ने 14 अक्टूबर 2025 को एक सुनियोजित ऑपरेशन को अंजाम दिया। जैसे ही एक निजी प्रतिनिधि अधिकारी को ₹10 लाख की रिश्वत सौंप रहा था, टीम ने तुरंत पहुंचकर दोनों को मौके पर ही दबोच लिया।
गिरफ्तार दूसरा शख्स है विनोद कुमार जैन, जो कोलकाता की निजी फर्म मेसर्स मोहनलाल जैन का प्रतिनिधि बताया गया है। यह रिश्वत NH-37 पर डेमो से मोरन बाईपास तक बन रहे चार लेन सड़क परियोजना में Completion Certificate और समय विस्तार (Extension of Time) दिलाने के नाम पर मांगी गई थी।
गिरफ्तारी के बाद CBI की टीमें गुवाहाटी, गाजियाबाद और इंफाल स्थित उनके घर और दफ्तरों पर छापेमारी के लिए निकल पड़ीं। तलाशी के दौरान जो कुछ सामने आया, वह भ्रष्टाचार की गहराई को बयान करता है:
₹2.62 करोड़ नकद
दिल्ली-एनसीआर में 9 हाई-एंड फ्लैट्स, 1 ऑफिस स्पेस और 3 प्लॉट
बेंगलुरु में 1 फ्लैट और 1 प्लॉट
गुवाहाटी में 4 अपार्टमेंट और 2 प्लॉट
इंफाल में 2 भूखंड और 1 कृषि भूमि
6 लग्जरी कारों के दस्तावेज
लाखों की कीमत वाली 2 ब्रांडेड घड़ियां
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इन जब्त सामग्रियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि घूसखोरी सिर्फ एक ट्रांजैक्शन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित धन संग्रह अभियान था, जो वर्षों से चलता आ रहा था।
अब गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को गुवाहाटी स्थित विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.