बलरामपुर 17 सितंबर। स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपये के गबन के मामले में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) अयोध्या सेक्टर ने पयागपुर (बहराइच) से सपा के पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। उनके पिता राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, गोंडा के तत्कालीन सीएमओ डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव व डॉ. आभा अशुतोष और गोंडा सीएमओ कार्यालय के प्रधान सहायक रामचंद्र सोनी के विरुद्ध भी गबन और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि सभी ने मिलीभगत कर मरम्मत और विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। यह कार्रवाई पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष तिवारी की शिकायत की जांच के बाद की गई है। मुकेश बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में जेल भी जा चुके हैं। इनके बसपा और कांग्रेस से भी बेहतर संबंध रहे हैं।
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में सीएचसी हलधरमऊ और कटरा बाजार में मरम्मत और स्थल विकास के नाम पर गड़बड़ी हुई। तत्कालीन सीएमओ डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव ने नियमों को दरकिनार करके बहराइच की आरपी ग्रुप ऑफ कंस्ट्रक्शन से बिना टेंडर काम कराया।
अवर अभियंता राम मनोहर मौर्या ने 92 लाख रुपये से अधिक का एस्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा और कार्य की देखरेख भी अनियमित ढंग से कराई। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि आरपी ग्रुप का बैंक खाता पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव के पिता राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव के नाम पर था। इस खाते से मुकेश ने खुद चार लाख से अधिक रुपये अपने निजी लाभ के लिए प्राप्त किए। गोंडा जिले में भी चिकित्सा उपकरणों और फर्नीचर की मरम्मत में नियमों का पालन नहीं किया गया। निविदा से जुड़ी पत्रावली को कनिष्ठ सहायक रामचंद्र सोनी (वर्तमान में प्रधान सहायक) ने गायब कर दी।
पूर्व विधायक के लिपिक भाई के खिलाफ भी मुकदमा
भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व विधायक के भाई अजय कुमार श्रीवास्तव स्वास्थ्य विभाग में ही लिपिक हैं। अभी उनकी तैनाती बाराबंकी में। उनपर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और करोड़ों रुपये के अनियमित व्यय का आरोप है। सतर्कता अधिष्ठान ने उनके विरुद्ध दूसरी एफआईआर आय से अधिक संपत्ति की दर्ज की है। जांच में पता चला कि अजय ने जांच अवधि में केवल 46 लाख 44 हजार 995 रुपये वैध स्रोतों से अर्जित किए। इसी अवधि में उन्होंने चल-अचल संपत्तियों की खरीद और पारिवारिक खर्च पर चार करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर दिए। अतिरिक्त खर्च किए रुपये का वह संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सके।