सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद सरकारी जमीन घेरने और बेचने वाले भूमाफिया बाज नहीं आ रहे हैं। अब तो जितना दिखाई दे रहा है अपने आप को सत्ता के गलियारे के इर्द गिर्द और कुछ बड़े अफसरों व नेताओं का करीबी बताकर ऐसा करने वाले ईमानदार अधिकारियों पर भी दबाव बनाने का काम करते हैं जहां आर्थिक साधन काम नहीं करते। हमारे मुख्यमंत्री कई बार सरकारी जमीन पर कब्जा करने उसे गलत तरीके से बेचने वाले माफियाओं और उन्हें संरक्षण देने वाले कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कह चुके हैं। लेकिन ग्रामीण कहावत ज्यो ज्यो दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान इन आदेशों को लागू कराने और सरकारी जमीन बचाने के लिए कई नौकरशाह अपना पद संभालते ही इस काम में लगे लोगों को संरक्षण देने लगते बताए जाते हैं। जब कोई आवाज उठाता है तो उसे कागजी चक्रव्यूह में फंसाकर झूठी रिपोर्ट लगाकर दोषियों को बचाने के प्रयास किए जाते हैं।
मजे की बात यह है कि इस काम में बड़े मुठमर्द और बाहुबली धनबली ही नहीं अब धार्मिक सामाजिक शिक्षा के क्षेत्र में अपना कुछ योगदान देकर और सरकारी बाबुओं से निकटता बनाने में सफल सफेदपोश भी मुंह में राम बगल में छुरी वाली कहावत के समान अपनी मीठी बातों और आर्थिक सहयोग के दम पर नाले नालियों नजूल हरित पटटी और रोड बाइडिंग की जमीन बेचने में पीछे नहीं है। मेरा मानना है कि गरीबों के लिए सरकारी घोषणाएं और नीतियांें को लागू करने के लिए आर्थिक साधन जुटाने के क्रम में पिछले लगभग चार दशक पूर्व कितनी सरकारी जमीन कहां थी और अब क्या स्थिति है और विभागों में कौन कौन अधिकारी रहा इसकी जांच कराकर उन अधिकारियों की पेंशन रोकी जाए। और जो नुकसान हुआ हो उसकी वसूली भी इनके व्यक्तिगत साधनों से हो और दोषी सफेदपोशों अफसर हो या कोई और उन्हें जेल भेजा जाए जिससे जनता के हितों पर कुठाराघात और सरकार की जमीन बेचकर अरबों का नुकसान शासन को पहुंचा रहे लोगों की कार्यप्रणाली पर रोक लग सके। पूर्व में प्रदेश के कई जिलों में ऐसे कार्याे में लगे हुक्मरानों और सफेदपोश बिल्डरों को जेल भी भेजा गया है। अगर मेरठ में इस बिंदु को ध्यान में रखकर जांच की जाए तो कई सफेदपोशों को जेल की रोटी अपने सहयोगी अफसरों के सहित भी खानी पड़ेगी। मुख्यमंत्री जी एक सर्वदलीय कमेटी पत्रकारों को लेकर किसी माननीय रिटायर जज की अध्यक्षता में गठित कर नाले नालियों नजूल की भूमि और जो सरकारी जमीनें बेचकर माल डकारने वालों पर कार्रवाई हो सके इसके लिए सभी सरकारी जमीन का परिसीमन किया जाए। अकेले उप्र के जिलों में डीएम से कराएं नजूल भूमि की जांच तो मेरठ सहित अरबो खरबों की नालों की जमीन बेचने से संबंध भूमाफियाओं पर शिकंजा कसा जा सकता है और सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत हो सकती है कि वो बिना टैक्स लगाए चुनावी घोषणाओं को पूरा कर सकती है। माननीय मुख्यमंत्री जी इसकी असलियत जाननी है तो मेरठ में बेगमपुल से हापुड़ रोड़ तक जाने वाले नाले के इर्द गिर्द जो नजूल की भूमि की क्या स्थिति है उसकी जांच करा ली जाए तो भूमाफियाओं की कार्यप्रणाली का पूर्ण ज्ञान हो सकता है।
(संपादकः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित समिति करे जांच! नाले की जमीनों का हो परिसीमन सरकारी जमीनों की कराई जाए समीक्षा जिन्हें बेचकर अरबो रूपये डकारने वालों को भेजा जा सके जेल
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