Date: 10/02/2025, Time:

ग्रामीण युवाओं की शिक्षा पर सरकार दे ध्यान तो देश में डॉक्टरों की कमी की समस्या हल हो सकती है

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बढ़ती बीमारियों का दबाव झेलने में असमर्थ वर्तमान चिकित्सा सुविधा के चलते ज्यादातर डॉक्टरों द्वारा जो अनाप शनाप फीस बढ़ा दी गई है उससे आम आदमी के साथ साथ सरकार भी परेशान है और मजबूरीवश पुराने डॉक्टरों को प्रोत्साहन देने के अतिरिक्त नए नए मेडिकल कॉलेज खोलने और उनमें डॉक्टर बनने के प्रोत्साहन देने में लगी है। इसके बाद भी इस समस्या का समाधान होता नजर नहीं आ रहा। लेकिन एक एनजीओ द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के वि़द्यार्थियों में कराए गए सर्वे से जो तथ्य सामने आए उससे पता चला कि यहां के छात्र छात्राएं आईएएस आईपीएस बनने के साथ साथ उनकी पहली पसंद डॉक्टर बनना और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देना उभरकर सामने आई है। एक खबर के अनुसार 15 से 35 फीसदी छात्र छात्राएं डॉक्टर बनना चाहते हैं। इस सर्वे में बालकों का आर्मी की तरफ और बालिकाओं का रूझान शिक्षक बनने की ओर भी नजर आया। मुझे लगता है कि अगर केंद्र व प्रदेश सरकार थोड़ा ध्यान ग्रामीण स्कूलों के रखरखाव और उच्च स्तरीय पढ़ाई की व्यवस्था करने की ओर देकर डॉक्टर बनने की शिक्षा की पढ़ाई रोचक तरीके कराने को प्रोत्साहन दिया जाए तो अगले दशक में देश से चिकित्सकों की कमी की समस्या कम हो सकती है। और चिकित्सा सस्ती होने के साथ उच्च स्तरीय होगी क्योंकि ग्रामीण परिवेश के छात्र डॉक्टर बनेंगे तो परिवार व आसपास के लोगों की परेशानी देखी होगी उसका अहसास ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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