केन्द्र में तीसरी बार श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार के द्वारा लोक तांत्रतिक कैबिनेट कमेटियों का गठन कर दिया गया है और उनमें सत्ताधारी दल के साथ ही सहयोगियो को भी प्रमुखता दी गई है। तथा संविधान के अनुसार विपक्षियों को भी शामिल किया जाएगा यह बात विश्वास से कहीं जा सकती है। यूपी में चल रही योगी आदित्यनाथ जी की सरकार पहले ही इन कमेटियों का गठन कर चुकी है। जो इस बात का प्रतीक है कि पीएम श्री नरेन्द्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ जी लोकतांत्रिक तरीके से सरकार को चलाने हेतु काम कर रहे है। मेरा मानना है कि जिस प्रकार इन कमेटियों ने सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया है उसी प्रकार से विभिन्न मंत्रालयों की समितियों में पार्टी के कार्यकर्ता और विपक्षियों को नियम अनुसार प्रतिनिधित्व दिया जाता है उसको ध्यान में रख सभी मंत्रालयों में उन्हें मनोनीत किया जाए और जिलास्तीय कमेटियों के सदस्य भी किये जाए घोषित जिससे कार्यकर्ताओं को मान सम्मान की अनुभूति हो सके।
वैसे तो यह राजनीतिक दलों और नेताओं का अपना अधिकार है लेकिन लोकत्रंत में सभी को अपनी बात कहने और सुनने का पूर्ण अवसर दिया गया है। तो मुझे लगता है कि यह राय देने में कुछ भी गलत नहीं है कि सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी पार्टियों के गठन और उससे अलग हटकर जो जिम्मेदारियों पूर्व में बांटी जाती थी उनको दृष्टिगत रख अपने दल के सक्रिय कार्यकर्ता चाहते वो महिला हो या पुरूष बुजुर्ग अथवा युवा उन्हें जहां भी प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है वो दिया जाए। क्योंकि हमेशा जनमानस में सक्रिय रहकर पार्टी की छवि और साख बनाये रखने वालों की अवहेलना उचित नहीं कही जा सकती। इस श्रृंखला में मेरा मानना है कि दुनिया की आधी आबादी मातृशक्ति महिलाओं के तर्जुबे और उनकी सक्रियता का लाभ सभी को उठाना चाहिए फिलहाल मेरा भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्षों से आग्रह है कि वो अपने सहयोगियों से विचार विमर्श कर पूर्व विधायक शशि मित्तल और पूर्व एमएलसी डा0 सरोजनी अग्रवाल तथा पूर्व विधायक रविन्द्र भड़ाना जैसी जनमानस के बीच सक्रिय महिलाओं पूर्व नेताओं का पूरे देश और प्रदेश में सहयोग हेतु इन्हें पार्टी की मुख्य ईकाई अथवा महिला सेल में अथवा मंत्रालयों की कमेटियों में प्रमुख स्थान देकर आधी आबादी आदि को राजनीति में बराबर का हक देने एवं मुख्य धारा में शामिल करने के दृष्टिकोण से किया जाए।
यूपी सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामचन्द्र वाल्मीकि जो अपनी अवहेलना के चलते समय से पहले हमें छोड़ गये मंत्री पद समाप्त होने के बाद वो जब भी मिलते थे एक बात कहा करते थे कि बताओ मैं मंत्री भी रह रहा हूं मेरा सहयोग भी पार्टी के नेता लेना जरूरी नहीं समझते। और वैसे भी पहली बार अपने पद का कार्यभार संभालने के बाद देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्पष्ट संदेश दिया था कि पार्टी के पुराने और अनुभवी नेताओं का सहयोग और मार्गदर्शन लेते हुए उनका सम्मान और उनकी समस्याओं का समाधान कराया जाए। और वैसे भी इस लोकसभा निर्वाचन में जो चुनाव परिणाम आये उन्हें देखकर भी यह कहा जा सकता है कि अब सत्ताधारी दल के नेताओं को मतदाताओं को जोड़ना होगा और यह तभी संभव है जब डा0 सरोजनी अग्रवाल शशि मित्तल रविन्द्र भड़ाना आदि लोगों को भी साथ लेकर चलने हेतु उन्हें जिम्मेदारियां और सम्मान दिया जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
लोकसभा परिणाम के बाद जनाधार जोड़े रखने हेतु भाजपा कमेटियों में कार्यकर्ताओं को प्रतिनिधित्व व डा0 सरोजनी अग्रवाल शशि मित्तल रविन्द्र भड़ाना जैसे नेताओं!
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