asd स्कूल सरकारी हो या प्राइवेट उसके टीचरों के टयूशन पढ़ाने पर लगाई जाए रोक

स्कूल सरकारी हो या प्राइवेट उसके टीचरों के टयूशन पढ़ाने पर लगाई जाए रोक

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सभी को शिक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा सभी प्रयास किए ही जा रहे हैं तमाम सामाजिक धार्मिक शैक्षिक संस्थाएं और उनके कुछ को छोड़ बाकी पदाधिकारी भी काम कर रहे हैं। शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार ने अब दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए नियम भी निर्धारित किए हैं। बताते हैं कि अब उन पर खरा उतरने वाले शिक्षकों को ही मिला करेगा राज्य और केंद्र से सम्मान।
इस सबके बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शिक्षा के मंदिरों को अब माल कमाने का माध्यम को शिक्षा माफिया टाइप के सफेद पोश लोगों ने बना लिया है। इससे भी बड़ी बात यह है कि शिक्षक भी शिक्षा का दान देने की भावना को भूल टयूशन पढ़ाकर पैसा कमाने और बैंक बैलेंस बढ़़ाने में लग गए हैं। परिणामस्वरूप एक ही भावना वाले इन दोनों क्षेत्रों में सक्रिय लोगों के समूह बनकर उभरे हैं जो विभिन्न नामों पर मोटी फीस वसूल रहे हैं। छात्र और अभिभावकों से निर्माण और अन्य तरीकों से धन वसूलने का कोई मौका जहां तक पता चलता है यह चूकने को तैयार नहीं है। क्योंकि इनके संबंध हर क्षेत्र में निरंतर मजबूत होते जा रहे हैं क्योंकि अभिभावकों का मानसिक आर्थिक उत्पीड़न कर जो वसूली इनके द्वारा की जा रही है उसका कुछ हिस्सा यह दिखावटी आयोजन करने और उसमें आने वाले कई अतिथियों पर खर्च कर अपने संबंध हर क्षेत्र के लोगों से बढ़ाने में सक्षम है इसलिए कोई कार्रवाई इनके खिलाफ नहीं हो पाती है।
सीबीएसई बोर्ड हो या यूपी बोर्ड के स्कूल हो अथवा आईसीएसई के जब इनमें शिक्षक रखे जाते हैं तो उनसे शपथ पत्र भरवाया जाता है कि हम टयूशन नहीं पढ़ाएंगे लेकिन इनकी टयूशन की दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है और इनका यह कार्य उत्पीड़न की सभी सीमाएं लांघ सुरसा के मुंह की भांति अभिभावकों से फीस के रूप में बड़ा आर्थिक लाभ लेने की मंशा बढ़ती ही जा रही है। लेकिन जो समस्या अब सामने आ रही है वो यह है कि कुछ टीचर अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों पर दबाव बनाते हैं और उनकी बात नहीं मानते तो बच्चो को फेल करने या परेशान करने के अतिरिक्त टयूशन ना पढ़ने वाले बच्चे पास भी हो गए तो उन्हें आसानी से अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाता है। मनपसंद विषय को लेकर शिक्षक और प्रबंधक इन्हंे इतना परेशान करते हैं कि अभिभावक इनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं। मेरा मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में इस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए शिक्षकों के टयूशन पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया जाए और इसके लिए एक निगरानी कमेटी सरकार बनाए लेकिन टयूशन पढ़ाने की जो यह व्यवस्था है इसे पूरी तौर पर समाप्त कराया जाए बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य और अभिभावकों की मानसिक शांति के लिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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