कई वर्षों बाद लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के इतने उम्मीदवार जीते कि वो सहयोगियों को साथ लेकर अपना विपक्ष का नेता बनाने में सफल रहे। यह सफलता कैसे मिली यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि विपक्ष का नेता का पद संभाल रहे राहुल गांधी द्वारा देशभर में की गई पैदल यात्रा की जिससे कांग्रेस का जनाधार भी बढ़ा और उसके पुराने नेता कार्यकर्ता उससे जुड़ने लगे। सबने साथ मिलकर प्रयास किया और राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष बन गए।
पिछले कुछ वर्षों में जो विधानसभा के चुनावों में कुछ प्रदेशों में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही हो लेकिन जनाधार कम हुआ यह पक्का है। राह़ुल गांधी भी वही है नीतियां भी वहीं फिर ऐसा क्यों हो रहा है इस पर विचार करने की आवश्यकता कांग्रेस के नेताओं को है। मैं इतना विद्वान नहीं हूं कि किसी को राय दे सकूं लेकिन जनता के बीच जाकर इस बारे में चर्चा से सामने आया उसका मंथन करने में यह बात सामने आई है कि कांग्रेस नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी मनरेगा वोट चोरी और एसआईआर जैसे मुददों में उलझकर ना रह जाए उन्हें जनता के मुददों को उठाना चाहिए। जिससे आम आदमी जिस प्रकार २०२४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रति झ़का था वैसी ही सोच आगे भी बनती रहे। जहां तक मनरेगा की बात है तो वो अब वीबी राम जी होने से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है। इस बहाने भगवान राम का नाम दोहराने की सुविधा मिलेगी। इसलिए यह विरोध का बहुत बड़ा कारण नहीं है। इसमें कुछ करना है तो मनरेगा की मजदूरी बढ़ाने की बात की जाए। वोट चोरी की बात है तो पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा सहित विपक्ष के कई नेता कहने लगे हैं कि जब वर्तमान व्यवस्था से चुनाव होने से वो सांसद बन गए और कुछ प्रदेशों में सरकार बन गई तो वोट चोरी का मुददा क्यों। एसआईआर की बात करें तो राहुल जी जिनके वोट बनने में समस्या आ रही है या वोट काट दिए गए हैं आप उन्हें अपने सहयोगियों के माध्यम से दोबारा बनवाने पर मेहनत करें तो ज्यादा अच्छा है।
राहुल जी जनता के बीच एक सुझाव उभर रहा है कि आप पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए पैदल यात्रा जैसेे उपाय खोजिए और जनता के बीच जाइये। सोनिया जी २०२९ के चुनाव में एक बार पार्टी की वरिष्ठ नेता सांसद प्रियंकां गांधी को विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाए तो कहा जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे राहुल गांधी सोनिया गांधी आदि मिलकर ऐसा माहौल बना सकते हैं कि जो सांसद है वो बने रहे और आगामी चुनावों में ज्यादा कांग्रेसी उम्मीदवार जीते इसके लिए जनप्रिय चेहरों को सामने लाया जाए।
सोनिया जी राहुल जी कोई बहुत बड़ा सोच का आधार ना होने के बाद भी जो कई दशकों में देखा उससे लगता है कि कहीं ना कहीं कांग्रेस में जो जनविहीन नेताओं को अपना सलाहकार बना रखा है उन्हें हटाया जाए और जनाधार वाले उम्मीदवारों को आगे लाया जाए। वो ही पार्टी की नैया की पार लगा सकते हैं। बिना जनाधार वाले नेता चुनाव नहीं जीतते लेकिन बड़े नेताओं के कारण अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब रहते हैं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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