अभी सर्दी और कोहरा पड़ना पूरी तौर पर शुरू ही हुआ है कि विभिन्न हाईवे, एक्सप्रेस वे पर वाहन टकराने और लोगों के मरने की खबरें पढ़ने सुनने को मिलने लगी हैं। कोई एक्सप्रेस वे किनारे खुले होटल ढाबों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कुछ एक्सप्रेस व हाईवे पर वो सुविधाएं उपलब्ध ना होने की बात कह रहे हैं जो नियमानुसार होनी चाहिए। कुछ का कहना है कि जितनी रोशनी हाइवे पर होनी चाहिए वो नहीं होती। कुछ वाहन गति को इसके लिए दोषी ठहराने का प्रयास करते हैं। दूसरी तरफ कई मौकों पर तय समय से ज्यादा टोल पर गाड़ियां खड़ी रखने और यात्रियों को परेशान करने की बात भी सुनने को मिलती हैं तो कभी कभी टोल संचालकों द्वारा रखे गए बाउंसरों की करतूतों के किस्से भी सुनने को मिलते हैं।
हमारे देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जो एक अच्छी सोच और विचारों व जनसुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत नजर आते हैं के नीतियां लागू कराने की कोशिश के बाद भी यह समस्याएं सामने क्यों आती हैं और दुर्घटनाएं क्यों होती है इस बारे में नितिन गडकरी और सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों को सोच विचार कर टोल संचालकों को जो भरपूर टैक्स वाहनों से वसूलते हैं उन्हें मजबूर करना चाहिए कि वो यात्रियों को सुविधाएं भी उपलब्ध कराएं जिसके वो अधिकारी हैं।
टोल रोड और हाईवे ने जनमानस को गति दी है। और आवागमन में जाम में जो समय बर्बाद होता था उससे भी छुटकारा दिलाया है और इससे पहले सड़कों पर विभिन्न कारणों से सड़कों पर धीरे धीरे वाहन चलने से पेट्रोल और समय की बर्बादी रूकी है। इसके बाद भी जो कमियां हैं ना उन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है ना ही सहन। मेरा मानना है कि जिस प्रकार से दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करने वालों को सम्मानित किए जाने की नीति लागू की जा रही है उसी प्रकार एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर मौजूद गडढों, ऊंची नीची बनीं सड़कें, कम रोशनी आदि की जो शिकायतें हैं उन्हें टोल संचालकों से दूर कराया जाए।
इसके अलावा हर हाईवे पर एक उचित दूरी पर सुलभ शौचालय अधिकृत रेस्टोरेंट, होटल, और सुरक्षा गाड़ियां दौड़ाने के अतिरिक्त वाहनों में खराबी होने या यात्री के अस्वस्थ होने पर इलाज की व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाए। जिससे हर यात्री का सफर सुलभ और सुरक्षित हो। क्योंकि अब यह विषय उठने लगा है कि टोल संचालक पैसा तो पूरा ले रहे हैं तो सुविधा क्यों नहीं दे रहे और सरकार इस बारे में खामोश क्येां है। कुछ यात्रियों का यह कहना भी सही है कि जिन टोल प्लाजा की समय सीमा पूरी हो गई है उन्हें अब समाप्त किया जाए और हाइवे के किनारे जहां गांव हैं और जहां से नीलगाय आदि जानवरों के आने की संभावनाएं बनी रहती हैं वहां दोनों तरफ हाइवे की दीवारें ऊंची कराई जाए। कहने का मतलब है जब यात्री वाहन पूरा टैक्स दे रहे हें तो सरकार को उन्हें पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हाइवे के गडढों या ऊंची नीची सड़कों या झटके देने वालें पुलों की मरम्मत कराई जाए। जनहित में और दुर्घटनाएं रोकने के लिए सफल प्रयास हो सकता है।
मेरा मानना है कि पूरे देश में एक्सप्रेस वे और हाइवे पर पर्यावरण संतुलन और तेज हवाओं से वाहनों को सुरक्षित रखने केलिए दोनों ओर पेड़ों का पौधारोपण किया जाए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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