बड़ी कंपनियों में काम करने वालों ऊंचे वेतन पैकेज में अब आबादी के बड़े प्रतिशत को हवाई यात्रा करने का अवसर उपलब्ध कराया है। क्योंकि जो मोटी तनख्वाह पा रहे हैं उनके साथ परिजन भी यह सुविधा प्राप्त करने में कोई बुराई महसूस नहीं करते। इससे बस ट्रेनों के साथ ही विमान सेवा भी अब सामान्य हो गई है। पूर्व में एक बार घोषणा हुई थी कि सबको मौका मिलेगा यात्रा करने का ऐसी व्यवस्थाएं की जा रही हैं लेकिन खबरों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में इंडिगो एयरलाइन ने विमान तो बढ़ाए लेकिन पायलट केबिन क्रू और तकनीकी स्टाफ पर उतना ध्यान नहीं दिया जिससे बरसों की खामियों से पैदा हुए शर्मनाक हालातों ने बीते एक सप्ताह में लगभग सात लाख से ज्यादा यात्रियों को बेघर और बेबस बनाकर रख दिया है। अभ्ीा तक इमरजेंसी प्रोटोकॉल भी सक्रिय नहीं हुआ सिर्फ नागरिक उडउयन महानिदेशालय जवाब मांग रहा है कार्रवाई नहीं कर रहा। अगर ऐसा नहीं होता तो रखरखाव में गंभीर कमियां नहीं आती और कई विवादों से जो इस व्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है वैसा भी नहीं होता। बताया जा रहा है कि जवाबदेही का अभाव होने के चलते कितने ही मरीज घर नहीं पहुंच रहे और कितनों की नौकरी छूटने की नौबत आ रही है। बताया जा रहा है कि यूपी में ५3 फ्लाइट रद होने से हवाई अडडे पर एक यात्री की मौत हो गई तो देशभर में यात्रियों के सामने परेशानी हो रही है। रेलवे ने ८९ विशेष ट्रेन चलाने की घोषणा की लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। एयर इंडिया भी एक्सप्रेस राहत देने की कोशिश कर रही है। बताते हैं कि इंडिगो को फिलहाल ९०० पायलटों की आवश्यकता है। खबर है कि दस फरवरी की समय सीमा इस मामले में महत्वपूर्ण है। लेकिन उडडयन मंत्रालय ने जो दो नियम बनाए थे उनका भी पालन नहीं हो रहा है। फिल्म अभिनेता सोनू सूद का कहना है कि यात्री अपने गुस्से पर काबू रखें। इस बारे में कहा जा सकता है कि सोनू जी जिस परिस्थिति का इंडिगो के यात्री सामना कर रहे हैं खुद उसमें शामिल होकर देखने सुनने की आवश्यकता है। आप की सलाह की शायद नहीं। एक खबर से पता चलता है कि अब यात्रियों को किराया वापस देने के प्रयास शुरू हो सकते हैं। मगर सही बात तो यही है कि सरकार को जितना प्रयास करना चाहिए था आम आदमी की निगाह से शायद वो नहीं हो रहा है क्योंकि पांच दिन बाद जो सख्ती सरकार ने दिखाई थी उसका भी असर नहीं दिखाई दे रहा है। ये सही है कि यात्रियों के सहयोग की भावना के चलते स्थिति सामान्य नजर आ रही है लेकिन इसे यात्रियों के संयम का इंम्तहान ना समझा जाए। कुल मिलाकर जितना पढ़ने सुनने को मिल रहा है उससे यही कहा जा सकता है कि नागरिक उडडयन मंत्रालय के अधिकारी और मंत्री द्वारा भविष्य को ध्यान में रखते हुए इंडिगो सहित अन्य एयरलाइसों के लिए निर्धारित नियमों की समीक्षा नहीं की गई वरना विमान कर्मचारियों की जो कमी और लापरवाही नजर आ रही है वो नहीं होती। आश्चर्य इस बात का है कि अन्य कंपनियों के द्वारा अपने टिकट काफी महंगे कर दिए गए हैं। जो काफी महंगे हैं। एक प्रकार से इसे टिकट की ब्लैकमेलिंग और लोगों की मजबूरी का फायदा उठाना कहा जा सकता है। मुझे लगता है कि चार सदस्यीय समिति का जो गठन किया गया है उसे जल्द से जल्द नियमों की ताकत का प्रदर्शन कर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। तथा जो विमान चालक अपनी फ्लाइट चलाने को तैयार हैं उन्हें बुलाकर देखा जाए कि आखिर वो ऐसा किस आधार पर करने की बात कर रहे हैं। अगर उनके सुझाव सही लगे और दिखाई दे कि इससे दुर्घटना को बढ़ावा नहीं मिलेगा तो सुरक्षा के इंतजामों के साथ उन्हें अपना काम करने की अनुमति दी जाए। वैसे तो अनेक समस्याएं इतनी बड़ी व्यवस्था में होती है ऐसे में जो यात्रियों को परेशानी हो रही है उसकी जिम्मेदारी से नागरिक उडडयन मंत्रालय भी जवाबदेही से नहीं बच सकता लेकिन फिलहाल यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम सरकार को करना चाहिए। ऐसा ना करने से और भी परेशानी उत्पन्न हो सकती हैं जिसे सही नहीं कहा जा सकता। प्रधानमंत्री के सभी को सुगम हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के सपने को साकार करने हेतु प्राथमिकता से कार्य हो।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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