नई दिल्ली 13 नवंबर। दिल्ली धमाके में इस्तेमाल हुई कार को चलाने वाले डॉ. उमर नबी ने छह दिसंबर को बाबरी में विवादित ढांचा गिराए जाने की तारीख पर धमाके की योजना बनाई थी। फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल में गिरफ्तार आठ लोगों से पूछताछ के बाद जांच अधिकारियों ने ये कड़ी जोड़ी है। इससे पहले इन लोगों ने इसी साल 26 जनवरी को लालकिले को निशाना बनाने की साजिश रची थी, जिसमें वे नाकाम हो गए।
जांच में खुलासा हुआ कि डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर धमाके से पहले कई बार रेकी के लिए दिल्ली आए थे। तफ्तीश में यह बात सामने आ रही है कि यह रेकी डॉ. मुजम्मिल की कार से की गई थी। यह कार लाल किला के पास से गुजरी थी। मुजम्मिल के फोन का डंप डाटा खंगाला गया तो पता चला कि वह कई बार लाल किले के पास आया था।
तीन सौ किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की तलाश
जांच में खुलासा हुआ है कि मॉड्यूल के पास कुल 3200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की खेप पहुंचाई गई थी, लेकिन एजेंसियां अब तक सिर्फ 2900 किलो ही बरामद कर पाई हैं। बाकी के 300 किलो विस्फोटक का सुराग नहीं है।
मौलवी गिरफ्तार
जम्मू- कश्मीर पुलिस ने बुधवार को हरियाणा के मेवात से मौलवी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके घर से 2500 किलो विस्फोटक बरामद किया था। यूपी एटीएस ने कानपुर के एक डॉक्टर को भी हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि धमाके वाले दिन इस डॉक्टर की डॉ. शाहीन के संपर्क में रहने वालों से बात हुई थी। जांच अधिकारियों के अनुसार टेलीग्राम ऐप से फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल जैश-ए- मोहम्मद के संपर्क में था। अधिकारियों का मानना है कि गिरफ्तार किए गए संदिग्ध वर्ष 2008 में मुंबई में किए गए हमले जैसी योजना के फिराक में थे।
सरकार बोली, यह जघन्य आतंकी घटना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक हुई। इसमें सरकार ने दिल्ली विस्फोट को जघन्य आतंकी घटना बताया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि अपराधियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों की पहचान कर उन्हें शीघ्र न्याय के कटघरे में लाया जाए। यह भी कहा गया कि मंत्रिमंडल इस कायरतापूर्ण और घृणित कृत्य की निंदा करता है। प्रस्ताव के मुताबिक, मंत्रिमंडल भारत की आतंकवाद के सभी प्रारूपों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दोहराता है। मंत्रिमंडल ने मृतकों की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा।
पेशेवर तरीके से जांच के निर्देश
मंत्रिमंडल ने घटना की जांच तेजी और पेशेवर ढंग से करने के निर्देश दिए हैं, ताकि अपराधियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों की पहचान कर उन्हें शीघ्र न्याय के कटघरे में लाया जा सके। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार द्वारा सर्वोच्च स्तर पर स्थिति की निगरानी लगातार की जा रही है।
अक्तूबर में रची गई थी साजिश
जांच में सामने आया है कि धमाके की साजिश को अक्तूबर माह में ही अंतिम रूप दे दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस की गिरफ्त में आई आतंकी डॉ. शहीन सईद ने पूछताछ में बताया कि डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील और डॉ. उमर नबी मिलकर कई धमाकों की योजना बना रहे थे। शहीन ने बताया कि इनमें सबसे ज्यादा कट्टर उमर ही था, जो लगातार धमाकों की तैयारी पर चर्चा करता और एजेंसियों से बचने के लिए अपने साथियों को सतर्क रहने की सलाह देता था।
गाड़ी के दस्तावेज अपडेट किए
जांच एजेंसियों को पता चला है कि उमर ने घटना से ठीक पहले, अक्तूबर में अपनी कार का प्रदूषण प्रमाणपत्र और बीमा दोनों अपडेट कराया था। एजेंसियों का मानना है कि उसने ऐसा धमाके से पहले पूरी तैयारी करने और संदेह से बचने के लिए किया।
डंप डाटा के सहारे सुराग तलाश रही एजेंसियां
जांच एजेंसियों ने अब घटनास्थल और उमर की मूवमेंट से जुड़े सभी इलाकों का मोबाइल डंप डाटा जुटा लिया है। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उमर किससे संपर्क में था, किससे मिला और धमाके वाले दिन किससे बात हुई। एजेंसियां यह भी जांच रही हैं कि क्या किसी ने उमर पर नजर रखी हुई थी या उसे किसी बाहरी नेटवर्क से निर्देश मिल रहे थे।
हिंसा भड़काने की थी साजिश
एजेंसियों के मुताबिक, इस मॉड्यूल ने अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी खेप जुटाई थी और करीब 200 से अधिक शक्तिशाली आईईडी तैयार करने की योजना बनाई थी। इन बमों को एक साथ दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद के हाई-प्रोफाइल इलाकों में विस्फोट के लिए इस्तेमाल किया जाना था। सूत्रों के अनुसार, यह मॉड्यूल दिल्ली-एनसीआर में धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाकर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश में था।
जैश-ए मोहम्मद के हैंडलर ने किया था ब्रेन वाॅश
पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन डॉक्टरों की पहली मुलाकात विदेशी हैंडलरों से होने के बाद वे धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर झुकने लगे। जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलरों ने उनका ब्रेनवॉश कर आतंकी गतिविधियों में शामिल किया। एजेंसियों का मानना है कि यह मॉड्यूल राजधानी में एक साथ कई जगह विस्फोट कर देशव्यापी दहशत फैलाने की साजिश रच रहा था।
सीमापार से आतंकियों को मिल रहे थे निर्देश
पता चला है कि इस साजिश के पीछे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के कुछ कट्टरपंथी डॉक्टरों का नेटवर्क था, जिन्होंने एनसीआर में अपनी पकड़ बनाई थी। इन डॉक्टरों को सीमापार बैठे आतंकी संगठनों के हैंडलरों ने जोड़ा था ताकि उन पर किसी को शक न हो सके। इन्हें सीमापार से ही आतंकी संगठनों के आका निर्देश दे रहे थे और यहां बैठे आतंकी कार्य कर रहे थे

