प्रयागराज, 05 नवंबर। किन्नर अखाड़े से अलग हुए संतों ने नवगठित सनातनी किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर कौशल्यानंद गिरि का मंगलवार को विधिविधान के साथ पट्टाभिषेक कर दिया। इस दौरान किन्नर समाज के चादर ओढ़ाकर नए आचार्य को मान्यता दी। इनके अलावा संजनानंद गिरि को महामंडलेश्वर व संध्यानंद गिरि को श्रीमहंत बनाया गया है।
मंगलवार सुबह सबने संगम स्नान व पूजन किया। इसके बाद बैरहना स्थित दुर्गा पूजा पार्क में पट्टाभिषेक हुआ। अभिनेत्री गौरी सावंत, भवानीनंद वाल्मिकी सहित अन्य संतों ने टीना, संजनानंद व संध्यानंद को माला पहनाकर, टीका लगाने के बाद शाल ओढ़ाकर पद पर आसीन किया। अखाड़े के आराध्य अर्द्धनारीश्वर, मां बहुचरा माता, स्थान किन्नर कैलाश व टीका त्रिपुंड में गोल बड़ी बिंदी निर्धारित किया गया है।
सनातनी किन्नर अखाड़ा के पंचों में भवानीनाथ, गौरी सावंत, कौशल्यानंद गिरि, डाली मां व अंजली गुरु को शामिल किया गया है।
पट्टाभिषेक के तत्काल बाद आचार्य महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि ‘टीना मां’ ने कहा कि अखाड़ा गठन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार करना है। जो भी सनातन धर्म का विरोधी है, उससे हमारा बैर है। समाज से अलग हुए लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने, गाय को राष्ट्र माता घोषित कराने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। देहरादून में इनका जन्म 1986 में हुआ था। पिता भारतीय सेना में सैनिक थे। 1986 में प्रयागराज के माघ मेले में उन्होंने इन्हें किन्नर होने के कारण यहीं छोड़ दिया और चले गए।
इस मौके पर अयोध्या, कानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, मिर्जापुर और वाराणसी समेत कई अन्य जगहों से किन्नर मौजूद पहुंचे थे.
बता दें कि 13 अक्टूबर 2015 को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित आश्रम अध्यात्म वाटिका में किन्नर अखाड़े का गठन किया गया था. 2019 के प्रयागराज कुंभ में किन्नर अखाड़ा सुर्खियों में आया था. 2019 में किन्नर अखाड़े ने श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े से समझौता कर लिया था.

