रायपुर 07 दिसंबर। सपना देखो और उसे पूरा करने के लिए जी-जान लगा दो। शैलेंद्र कुमार बांधे की कहानी एक प्रेरणा है, जिन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम किया और अंतत: छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग-2023 (सीजीपीएससी) पास कर असिस्टेंट कमिश्नर (स्टेट टैक्स) बन गए।
वह पिछले सात माह से लोकसेवा आयोग के कार्यालय में ही चपरासी के रूप में कार्यरत हैं। यहां वे अधिकारियों की टेबल साफ करने, फाइल पहुंचाने का काम करते आ रहे हैं, लेकिन कभी निराश नहीं हुए। पांचवें प्रयास में उन्हें बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि दोबारा परीक्षा दूंगा, लेकिन डिप्टी कलेक्टर बनने तक नहीं रुकूंगा।
रायपुर के बीरगांव निवासी शैलेंद्र ने बताया कि 2019 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। बचपन से उनका सपना अधिकारी बनने का था। वे हर वर्ष बिना रुके पीएससी की परीक्षा दे रहे थे। बीच में परिवार का सहयोग करने का दबाव आने लगा। उन्हें लगा कि मुझे आर्थिक रूप से निर्भर होना जरूरी है। इसलिए 2022 में चपरासी के लिए आवेदन कर दिया। परीक्षा पास होने के बाद उन्हें 27 मई, 2024 को नियुक्ति मिल गई।
नहीं मानी कभी हार शैलेंद्र कुमार बिलासपुर जिले के एक किसान परिवार और अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। उनके पिता संतराम बांधे रायपुर में ही बस गए और यहीं शैलेंद्र कुमार का जन्म हुआ है। वह 2019 में पहली बार सीजीपीएससी में शामिल हुए थे, लेकिन सफल नहीं हुए। अगले वर्ष मुख्य परीक्षा तक पहुंच गए, लेकिन सफल नहीं हुए। 2021 में उन्होंने मंडी निरीक्षक की परीक्षा दी थी। यहां दो-तीन नंबर से उन्हें निराशा मिली। अगले वर्ष 2022 में उन्हें पीएससी में 306वीं रैंक मिली थी। फिर नए सिरे से तैयारी शुरू की। इस बार उन्हें सफलता मिल गई।
डिप्टी कलेक्टर के लिए छह अंक से चूके असिस्टेंट कमिश्नर बनकर प्रफुल्लित शैलेंद्र ने बताया कि इस बार वह छह अंक से चूक गए वर्ना डिप्टी कलेक्टर बन जाते। कहा कि अगली बार फिर प्रयास करूंगा। साक्षात्कार के बारे में उन्होंने बताया कि मुझसे संविधान, आंबेडकर, सतनाम पंथ, छत्तीसगढ़ी कविता आदि के बारे में सवाल पूछे गए थे। शैलेंद्र कहते हैं कि जब 2019 में पीएससी में असफल हो गए तो अगले वर्ष को¨चग की। इसके बाद लगातार घर में रहकर ही तैयारी की। यूट्यूब के माध्यम से लगातार पढ़ाई जारी रखी।
शैलेंद्र कुमार बांधे ने कहा कि कोई भी नौकरी बड़ी या छोटी नहीं होती क्योंकि हर पद की गरिमा होती है. चाहे वह चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर, हर नौकरी में ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ काम करना होता है. मैंने जब चपरासी की नौकरी ज्वाइन की तो लोग मुझे ताने मारते थे, लेकिन मैं इससे विचलित नहीं हुआ और अपनी तैयारी जारी रखी. मेरे माता-पिता, परिवार और दफ़्तर ने हमेशा मेरा साथ दिया और मेरा हौसला बढ़ाया.