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    पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार और उनकी हत्या तथा चर्म पर पहुंच रहे भीड तंत्र को रोका जाए चाहे कुछ भी करना पड़े, केरल में मजदूर रामनारायण की हत्या क्यों?

    adminBy adminDecember 27, 2025Updated:December 27, 2025No Comments12 Views
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    भीड तंत्र का बढ़ता प्रकोप अपने देश में हो या पड़ोसी देशों में उसे किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। इसलिए सभी देशों को मिलकर इस मामले में कोई सर्वसम्मत नीति तैयार कर नागरिकों को बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर होने चाहिए और जिस देश में भी उनका उल्लघंन हो और लगे कि सरकार की कमजोरी की वजह से यह हो रहा है तो ठोस कार्रवाई इस मामले में हो। आये दिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में हिन्दु महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराने और वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार की खबरें तो कई वर्षों से पढ़ने और सुनने को मिलती रही है। लेकिन जब से बंगलादेश में तख्ता पलट हुआ है वहां तब से अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर यह भुलकर कि इस देश को अस्तित्व में लाने का काम भारत द्वारा किया गया था उन पर अत्याचार किये जा रहे है या उन्हें मारा जा रहा है जो सही नहीं है।
    इन घटनाओं को लेकर यूपी में अनेक जगहों पर आक्रोश से भरे नागरिक प्रदर्शन कर रहे है। तो देश के अन्य प्रदेशों में भी इस प्रकार के प्रदर्शन खूब हो रहे है। और बंगलादेश में रहने वाले हिन्दुओं पर अत्याचार व हत्या रोकने के लिए मांग की जा रही है। कलकत्ता स्थित आयोग के सामने प्रदर्शन तथा सिलीगुडी के होटलों में बंगलादेशियों के ठहरने पर रोक कर्नाटक के चिकमंगलूर में पदर्शन आदि विरोध बढ़ता ही जा रहा है। यूपी कांग्रेस के मुखर सांसद इमरान मसूद के द्वारा बंगलादेश में धर्म के नाम पर हो रहे उत्पीड़न पर चिन्ता जताई है। तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणवीर जायसवाल का कहना है कि बंगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा चिन्ताजनक है। जिसे अब रोका ही जाना चाहिए। मुझे लगता है ऐसा कैसे भी हो यह देखना सरकार का काम है। मगर इस संदर्भ में अब सिर्फ चर्चा से नहीं कुछ सख्ती भी दिखानी होगी। क्योंकि अल्पसंख्यकों पर वहां होने वाले अत्याचार नागरिकों की सहन शक्ति से बाहर होते जा रहे है।
    दूसरी तरफ बीती 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ निवासी 31 वर्षीय मजदूर राम नारायण बघेल जो 13 दिसंबर को रोजी रोटी कमाने केरल गया था के साथ यह कहते हुए केरल के पलकड़ जिले में कि तुम बंगलादेशी घुसपैठियों हो उसकी बात सुने बिना ही उसे इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई और उसके शरीर पर 80 से भी ज्यादा चोटों के निशान मिले। इसके लिए दोषी समझे जाने वाले अनंतन अनुसीप्रसाद सी मुरली और केबिबीन सभी स्थानीय है को पकड़ लिया गया है लेकिन सिर्फ इनकी गिरफ्तारी भीड़ तंत्र रोकने के लिए पूर्ण नहीं है। असुरक्षा के साये में जीने के लिए मजबूर चर्म पर पहुंच रही पूर्ता को रोका जाना और भीड तंत्र पर अंकुश और हर व्यक्ति को भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना सबसे बड़ी मांग है। जिम्मेदारों को कुछ भी करना पड़े इस पर रोक लगाई ही जानी चाहिए।
    (प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक पत्रकार)

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