केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल सहित उपमंत्री डेविड मुबोलो और श्रीलंका, भूटान समेत २५ देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सुलभ इंटरनेशनल एवं विश्व शौचालय संगठन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व शौचालय दिवस बीते दिवस दिल्ली में शुरू हुआ। इसमें स्वच्छता से संबंध अभियानों और उसके साथ ही अन्य व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता आह्वान के अनुरूप, भारत को 2019 में पांच वर्षों के भीतर खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 की शुरुआत के साथ, भारत ने शहरी स्वच्छता के एर्क नए चरण में प्रवेश किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की 2024 संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (जेएमपी) रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 5.5 करोड़ शहरी
निवासियों को पिछले दो वर्षों में ही सुरक्षित रूप से प्रबंधित, बेहतर स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त हुई है, यह जनसंख्या लगभग फ्रांस या इटली के बराबर है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने स्वच्छता और स्थिरता पर वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया भर में, बेहतर और स्वच्छ शौचालय प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं। हमारे देश में भी, मानसिकताएं बदल रही हैं और बदलनी ही चाहिए।
उक्त अभियान की शुरूआत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा जब की गई थी तो यह विश्वास बना था कि अब हर व्यक्ति को समयानुकूल स्वस्छ शौचालय की सुविधा मिलेगी और वो कहां पर है इसकी जानकारी भी दी जाएगी लेकिन ११ साल लगभग हो गए हैं। कागजी आंकड़ों में भले ही संबंधित विभागों द्वारा ऐसा दिखाया जा रहा हो कि शौचालय पूर्ण रूप से उपलब्ध है लेकिन आम आदमी की दृष्टि से देखें तो अभी पुरूषों के लिए तो छोड़ दे महिलाओं के लिए भी सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध नहीं है। अगर हैं तो उनमें संचालकों द्वारा ताले डाले गए हैं या इतने गंदे हैं कि कोई उनमें जा नहीं सकता। जहां तक यह जो व्यस्था की गई थी कि कोई व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर उद्योग, होटल, सरकारी कार्यालयों में बने शौचालयों में जा सकता है तो इस बारे में तो यही कहा जा सकता है कि यह नियम ढोल की पोल साबित हो रहा है क्योकि जब देशभर के जिलों से लेकर दिल्ली तक सरकारी कार्यालयों में आम आदमी का प्रवेश ही नहीं हो पाता क्योंकि छोटे हो या बड़े होटल में इस कार्य के लिए घुसने नहीं देता। इसके अलावा पेट्रोल पंपों आदि पर घोषणा की गई थी कि साफ शौचालय पेयजल उपलबध होगा लेकिन वो कहीं दिखाई नहीं देता।
प्रधानमंत्री की भावनाओं से जुड़े इस अभियान का लाभ आम लोगों को पहुंचे इसके लिए सभी सरकारी कार्यालयों के मुख्य गेट पर एक पटिटका लगाई जाए जिस पर शौचालय की लोकेशन अंकित हो और हर बाजार और एक किमी की दूरी पर महिलाओं के लिए शौचालय बनाए जाएं तभी इस विश्व शौचालय दिवस की सार्थकता है वरना आम आदमी इस समस्या को लेकर परेशान रहता ही है क्यांकि महिलाएं तो बहुत समस्या में हो जाते हैं और पुरूष कहीं ओट देखकर निवृत होने की कोशिश करता है तो डरता है कि कहीं जिम्मेदार आकर जुर्माना ना वसूल ले क्येांकि सुविधाएं बेशक ना हो लेकिन नागरिकों को बेइज्ज्त करने और जुर्माना वसूलेन में कोई पीछे नहीं रहता। कुछ वर्ष पूर्व महिलाओं के लिए पिंक शौचालय बनाने की बात हुई थी जो यह भी बस दावों में सिमटकर रह गई। पीएम साहब आपका यह अभियान सभी के लिए आवश्यक है इसलिए जिम्मेदारों को थोड़ा सक्रिेय किजिए और सुलभ इंटरनेशनल और सिश्व शौचालय संगठन को जमीन उपलब्ध कराएं जिससे वह गांव देहात तक में इस जरूरी आवश्यकता का जाल फैला सके।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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