asd मोदी समूह के डीके मोदी पर जिला प्रशासन ने कसा शिकंजा, अवैध तरीके से बेची गयी करोड़ों रुपये की भूमि

मोदी समूह के डीके मोदी पर जिला प्रशासन ने कसा शिकंजा, अवैध तरीके से बेची गयी करोड़ों रुपये की भूमि

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मोदीनगर 22 जुलाई। मोदी समूह की मोदी पोन लिमिटेड की तरह अवैध तरीके से बेची गयी भूमि के बाद अब डीके मोदी समूह पर जिला प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं। समूह के मोदी चैरिटेबल फंड सोसाइटी कीओर से कॉम्प्लेक्स निर्माण कर उसमें हेरा-फेरी कर बेचे जाने का मामला उजागर हुआ हैं। डीएम इंद्रविक्रम सिंह के समक्ष आई शिकायत पर एसडीएम न्यायिक राजेंद्र शुक्ला ने जांच में तमाम अनयिमितताएं पकड़ी है।

जांच में अधिग्रहण भूमि की शर्तों का खुला उल्लंघन कर उस पर कॉम्प्लेक्स बनाकर करोड़ों रुपये कमाने वाले डीके मोदी समूह फिर सवालों के घेरे में घिर गये हैं। बिना शासन की अनुमति के बेची गयी भूमि के इस मामले की रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी है। जिसे लेकर डीके मोदी समूह के प्रबंधकों से लेकर कॉम्प्लेक्स में दुकान व आफिस के खरीदारों के बीच खलबली मच गयी है।

दरअसल, एमके मोदी समूह ने भी मोदी पोन लिमिटेड की मिल बंद होने के बाद उक्त भूमि को वर्ष 2010 के बाद बेचना शुरू कर दिया गया। तत्कालीन मेरठ कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने जांच में 250 करोड़ से अधिक की भूमि का घोटाला पकड़ा और भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी थी। इसी क्रम में अब शिकायतकर्ता श्रमिक नेता नरेश शर्मा, सुशील त्यागी व विनोद कुमार ने डीएम इंद्रभूषण सिंह से शिकायत की कि मोदी चैरिटेबल फंड सोसाइटी को वर्ष 1941 से 47 के बीच सरकार ने तकरीबन 140 बीघे भूमि (टीचर कालोनी से होते हुये राज चौपले तक) अधिग्रहण कर दी थी।

जिस पर भूमि अधिग्रहण को लेकर रखी गयी शर्तों के मुताबिक मोदी इंटर कालेज से लेकर डिग्री कालेज व दोनों कालेज के खेल मैदान का निर्माण किया गया था। उक्त सोसाइटी के अध्यक्ष डीके मोदी पर आरोप लगा है कि अवैध धन अर्जित करने के लिये शासन के नियमों को दरकिनार कर मोदी इंटर कालेज के खेल के मैदान की भूमि के हिस्से पर कब्जा कर जहां अपने पिता के नाम स्व. केएन मोदी के नाम व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स का बडे स्तर पर निर्माण करा लिया। कॉम्प्लेक्स निर्माण के बाद पीछे का भी खेल मैदान का हिस्सा बेचना शुरू कर दिया ओर तो ओर मोदी डिग्री कालेज के मैदान के गेट पर ताला लगाकर कब्जा कर कालेज के खिलाड़ियों को खेलने व व्यायाम करने से रोक दिया।

इन आरोपों की डीएम इंद्रविक्रम सिंह ने एसडीएम न्यायिक राजेंद्र शुक्ला को जांच सौंपी। डीके मोदी की ओर से बने कॉम्प्लेक्स को लेकर शासन की अनुमति का पत्र नहीं दिखाया जा सका। जांच में अधिग्रहण भूमि की शर्तों का खुला उल्लंघन पाया गया। मोदी पोन लिमिटेड की भूमि की तर्ज पर डीके मोदी की सोसाइटी की ओर से बरती गयी अनियमितताओं के तहत कॉम्प्लेक्स बनाये जाने को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। कॉम्प्लेक्स की दुकानों के खरीदारों के बीच खलबली मच गयी हैं। पूरे प्रकरण की रिपोर्ट जिला प्रशासन की ओर से शासन को भेजी जानी है।

मोदीनगर तहसील एसडीएम न्यायिक राजेंद्र शुक्ला का कहना है कि शिकायतकर्ताओं के लगाये गये आरोपों की जांच में यह बात सामने आई है कि मोदी चैरिटेबल फंड सोसाइटी को स्कूल, कालेज व खेल मैदान के लिये यह भूमि शर्तों एक्ट 44-ए के तहत के जरिये 99 वर्ष के लिये लीज पर दी गयी। बकायदा सोसाइटी व सरकार के बीच सहमति बनी। शिकायतकर्ताओं की ओर से प्रमाण पत्र भी सहमति के सामने आये हैं। सोसाइटी को बाकायदा कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिये एक्ट के प्रावधानों के तहत शासन से अनुमति लेनी चाहिये थी। जोकि गलत किया गया है। इस संबंध में उनकी ओर से जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गयी हैं।

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