पत्रकार एलएन सिंह की बीते गुरुवार को चाकुओं से गोदकर प्रयागराज के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई। पुलिस कमिश्नर अजयपाल शर्मा के अनुसार हत्यारोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुठभेड़ में उसके दोनों पैरों में लगी तीन गोलियों के चलते उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि घटना से एक दिन पूर्व दिवंगत पत्रकार और हत्यारोपी में किसी मुददे को लेकर तकरार हुई थी। पुलिस ने दोषी को गिरफ्तार कर लिया। अन्य साथी को ढूंढने का प्रयास हो रहा है लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि समाज के चार स्तंभों में से एक पत्रकारों को लेकर कोई भी उनकी सुरक्षा या अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर क्यों नहीं है। पुलिस कार्रवाई कर रही है लेकिन जो पत्रकार हमारे बीच से चला गया वो वापस तो नहीं आ सकता।
वर्तमान समय में देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी सहित ज्यादातर प्रदेशों की सरकारें जनहित और चुनावी घोषणाओं व सरकारी नीतियों व नियमों का पालन कराने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं मगर आदरणीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की भावनाओं के तहत जिलों में तैनात अफसरों को जो काम करना चाहिए था वो सब नहीं कर रहे लगते हैं। परिणामस्वरूप खुलेआम नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर कुछ लोग दोनों हाथों से सुविधाएं और धन बटोरकर अपना तो बैंक बैलेंस और आर्थिक स्थिति मजबूत कर ही रहे हैं। कई बार सुनने को मिलता है कि सहयोग करने वालों की सुख सुविधा का ध्यान भी इनके द्वारा रखा जाता है। अब ऐसे में मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है जो समाज के आम आदमी के बारे में सोचते हुए सरकार से उसे मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराकर उसका लाभ उन तक पहुंचाना चाहता है। ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय घोषित अघोषित माफिया और चाहे वह किसी रूप में हो बाहुबलियों को यह नागवार गुजरना ही है। परिणामस्वरूप आए दिन पत्राकारों पर हमले करने में अपना सहयोग कर रहे कुछ अफसरों से मिलकर पत्रकारों पर आरोप विभिन्न प्रकार से लगाकर उन्हें विवादों में फंसाने की कोशिश वर्तमान में चरम पर है। फिर भी समाजहित की सोच रखना वाला पत्रकार को यह लोग उस पर हमला करने या मार देने की कोशिशों में लग जाते हैं। पत्रकार एलएन सिंह और विशाल के बीच क्या विवाद था यह तो अभी स्पष्ट नहीं है मगर कोई व्यक्ति किसी पर चाकुओं से हमला करता है तो यह पक्का है कि वह अपराधिक प्रवृति का है और ऐसी ही सोच रखता है। ऐसे लोगों से पत्रकारों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं पर जितना ध्यान जिम्मेदारेां को देना चाहिए वो नहीं दिया जा रहा लगता है। वरना आए दिन हमलों और हत्या कर देने की घटनाएं सुनाई नहीं देती।
ऑल इंडिया न्यूज पेपर एसोसिएशन आईना और सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के पदाधिकारियों व सदस्यों की इस बात से मैं भी इत्तेफाक रखता हूं कि सरकार को सभी जिला पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश देना चाहिए कि वह पत्रकारों का मान सम्मान शासन की नीति के अनुसार करना शुरू करें और अगर कोई पत्रकार शिकायत करता है तो उस पर कार्रवाई की जाए। जिस प्रकार समाज के सभ्य नागरिकों के संरक्षण के लिए व्यवस्था होती है उसी प्रकार से पत्रकारों और मीडिया से जुड़े सभी लोगों का भी ध्यान रखना जरुरी है। अगर कोई पत्रकार समाज विरोधी गतिविधियों में सक्रिय नजर आए या फर्जी नजर आता हो तो उस पर सूचना अधिकारियों के माध्यम से पूर्ण जानकारी प्राप्त कर कार्रवाई की जाए और अगर सबूत ठोस हैं तो उसका पर्दाफाश भी हो जिससे वो मीडिया की आड़ में किसी को नुकसान ना पहुंचा पाए लेकिन सरकार कुछ भी करे उसे पत्रकारों संपादकों की सुरक्षा पर ध्यान देना ही चाहिए क्योंकि समाज में यही वर्ग ऐसा है जो ज्यादा वेतन और सुविधाएं ना मिलने के बाद भी सरकारी योजनाएं घर घर तक पहुंचाकर आम आदमी को उसका लाभ पहुंचाने का प्रयास बिना किसी स्वार्थ के कर रहा है। अगर वह सही मायनों में पत्रकार या संपादक है तो उसके लिए सरकार पुलिस प्रशासन को सोचना ही होगा। समाज से कुरीतियां दूर करने और शासन की नीतियों का उल्लंघन करने वालों का सफाया करने हेतु।
मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार जिस प्रकार से कई प्रदेशों की सरकारें कर्मचारियों के मरणोपरांत परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देती है उसी प्रकार एलएन सिंह समेत जितने भी पत्रकार संपादक ऐसी घटनाओं से प्रभावित है उन्हें मुआवजा दें और सरकारी नीति के तहत परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जिससे मृतक का परिवार और उसके बच्चों का पालन पोषण समयानुकूल हो सके। तथा उसके बच्चों को अच्छे स्कूलों में उपलब्ध कराई जाए पढ़ाई निशुल्क। वरना वो दिन दूर नहीं जब सरकार और जनता के बीच तालमेल बनाने वाले पत्रकार संपादक ढूंढने से नहीं मिलेंगे क्यों अन्य क्षेत्रों के लोग हमारी जितनी मेहनत ना करके भी खुशहाल जीवन जी रहे हैं तो हम क्यों नहीं जी सकते। मेरी सरकार से मांग है कि सही मीडियाकर्मी को आसानी से शस्त्र लाइसेंस उपलब्ध कराए जाएं और शिकायत मिलने पर निशुल्क सुरक्षा कर्मी दिए जाएं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
