मुजफ्फरनगर 03 अक्टूबर। सऊदी अरब में एक्सपायर्ड कफ सिरप की सप्लाई करने वाले एक गिरोह का थाना सिविल लाइंस पुलिस ने राजफाश किया है। यह गिरोह सूखी और खुश्क खांसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले फेंसेडिल कफ सिरप पर नए रैपर लगाकर उसे सप्लाई कर रहा था। पुलिस ने गिरोह के तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जबकि एक अन्य बदमाश फरार है। गिरफ्तार आरोपितों में से एक गाजियाबाद और एक कासगंज का निवासी है। इनके पास से एक्सपायर्ड कफ सिरप और नए रैपर बरामद हुए हैं।
सिविल लाइंस थाना प्रभारी निरीक्षक आशुतोष कुमार ने बताया कि बुधवार रात उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ लोग एक्सपायरी डेट के कफ सिरप को विदेश में सप्लाई कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर कार्रवाई की गई। बुधवार रात लगभग पौने 11 बजे शादाब अली निवासी चूने वाली गली मदीना कालोनी सिविल लाइंस, तूफान सिंह उर्फ बबलू निवासी गांव सिरौली थाना ढोलना जिला कासगंज और दीपक कुमार शर्मा निवासी देविका सोसायटी राजनगर एक्सटेंशन थाना नंदग्राम गाजियाबाद को गिरफ्तार किया गया।
दीपक मूलरूप से नई आबादी अल्माश पुर मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। इनका साथी मोहम्मद वसीम निवासी चूने वाली गली मदीना कालोनी फरार है। गिरफ्तार आरोपितों के पास से 74 शीशियां कफ सिरप और 92 रैपर शीट (1,793 रैपर) बरामद किए गए। तूफान के खिलाफ पहले भी कासगंज में 2020 और 2021 में मामले दर्ज हैं। तीनों आरोपितों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
आरोपित शादाब ने पूछताछ में बताया कि वे गाजियाबाद से कफ सिरप मंगाते थे और नए रैपर लगाकर सऊदी अरब जाने वाले कुछ व्यक्तियों को झांसे में लेकर उनके माध्यम से सप्लाई करते थे और उनके लगेज में रखवा देते थे। पुलिस के मुताबिक ये लोग उन्हें ये सिरप अपने रिश्तेदार या परिचितों को देने के लिए कहते थे। एक लगेज में लगभग 25 कफ सिरप की शीशियां भेजी जाती थीं। यदि ये शीशियां पकड़ में आती थीं, तो उन पर कोई जुर्माना नहीं लगता था, केवल उन्हें जब्त कर लिया जाता था। एक महीने में यह गिरोह लगभग 2,500 शीशियां भेज देता था।
थाना प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी जांच की जाएगी। गाजियाबाद में दवा की सप्लाई के स्थान की जानकारी भी जुटाई जाएगी। सभी आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और जांच के लिए एक टीम गठित की गई है। जब पुलिस अधिकारियों से यह पूछा गया कि आखिर इन्हें इतने लोग कैसे मिल जाते थे कि उनके माध्यम से एक माह में 2,500 शीशियां भिजवा देते थे।