रायपुर 16 सितंबर। चर्चित शराब घोटाले में अब पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से उनके खिलाफ चालान पेश करने के बाद अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी उनसे पूछताछ की तैयारी में है। EOW इस 3,200 करोड़ के घोटाले से जुड़ी कई एफआईआर के संबंध में चैतन्य को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
चैतन्य से पूछताछ के लिए 7 दिन की रिमांड मांगी है, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कल यानी मंगलवार को फिर से सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि अब EOW-ACB की भी टीम भी घोटाले को ले कर पूछताछ कर जांच करेगी।
वहीं ACB-EOW की गिरफ्तारी से बचने के लिए चैतन्य बघेल ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट से याचिका खारिज हो गई है। सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल विवेक शर्मा ने अग्रिम जमानत का विरोध किया।
एडिशनल एडवोकेट ने कोर्ट से कहा कि ACB की स्पेशल कोर्ट के बजाए सीधे हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है, इसलिए सुनवाई नहीं होनी चाहिए। चैतन्य बघेल की ओर से एडवोकेट हर्षवर्धन परगनिहा ने पैरवी की। सुनवाई के बाद जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी है।
इसके अलावा चैतन्य बघेल की कस्टोडियल रिमांड खत्म होने पर जेल के अधिकारियों ने कोर्ट में पेश किया। चैतन्य के खिलाफ शराब घोटाला, कोल लेवी, महादेव सट्टा ऐप और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है। चैतन्य बघेल की 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तारी हुई थी, तब से रायपुर जेल में बंद है।
दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया।
ED के मुताबिक चैतन्य बघेल ने ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है।
ED ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे।
प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।
ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि, ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ।
सरकारी अधिकारियों पर भी गाज
इस घोटाले में अब तक कई बड़े हस्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और भारतीय दूरसंचार सेवा (ITS) अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं। इसके अलावा, ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में नाम आने के बाद राज्य सरकार ने 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि सात अन्य अधिकारी जो मामले में शामिल पाए गए थे, वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
जांच में खुल रहे नए राज
जांच एजेंसियों का दावा है कि यह घोटाला एक सुनियोजित सिंडिकेट द्वारा चलाया जा रहा था, जिसमें राजनेता, उच्चाधिकारी और कारोबारी शामिल थे। ईओडब्ल्यू ने अपने पूरक चालान में राजफाश किया है कि इस सिंडिकेट ने विदेशी शराब कंपनियों से कमीशन वसूला और अवैध रूप से शराब बेची।