शामली 09 सितंबर। उपभोक्ता का मीटर खराब होने पर ऊर्जा निगम ने शिकायत के आधार पर मीटर को उतार लिया था। मीटर सीलिंग का प्रमाण पत्र लेने के साथ ही उपभोक्ता द्वारा अंतिम रीडिंग का बिल भी जमा किया गया थथा। बावजूद इसके उपभोक्ता को गलत बिल भेज दिया। उपभोक्ता के दायर वाद पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ने सेवा में कमी का दोषी मानते हुए अधिशासी अभियंता द्वितीय पर 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
शामली के मुहल्ला रेलपार निवासी सत्येंद्र ने 15 नवंबर 2019 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया था। उपभोक्ता ने अवगत कराया कि उसने करीब 20 साल पहले दो किलोवाट का कनेक्शन स्वीकृत कराया था। वह नियमानुसार बिल जमा कराता आ रहा था। साल 2018 में मीटर खराब होने पर शिकायत की गई थी, जिसके बाद ऊर्जा निगम ने 12 फरवरी 2019 को मीटर उतरवा दिया था। विद्युत कर्मचारी ने उसी दिन सीलिंग का प्रमाण पत्र भी दे दिया था। इसमें अंतिम बिल की रीडिंग 5,450 थी । इसका उन्होंने पूर्ण रूप से नियमानुसार 28 मार्च 2019 को 9,039 रुपये का बिल जमा कर रसीद प्राप्त कर ली थी।
ऊर्जा निगम की ओर से 13 सितंबर 2019 को 24 हजार सात सौ 93 रुपये का गलत बिल भेज दिया गया। इससे पहले 12 जून 2019 को मीटर रीडिंग 151 दी गई थी, जिसका बिल 1,137 रुपये 83 पैसे का मैसेज भेजा गया। इसके बाद 11 जुलाई 2019 को मीटर रीडिंग 188 दी गई, जिसका बिल 22,790.68 रुपये भेजा गया, जोकि गलत था। 31 जनवरी 2019 को सरचार्ज समाधान योजना के तहत पंजीकरण 31 जनवरी 2019 में कराकर विद्युत बिल मार्च 2019 तक का संपूर्ण भुगतान जमा करा दिया। मीटर रीडर ने जुलाई 2018 में खराब मीटर की बात बताई और मीटर लगाने के लिए प्रार्थना पत्र तभी ले लिया था, लेकिन फरवरी 2019 में मीटर लगाया। फरवरी 2019 तक का विद्युत बिल अनुमान के तौर पर मैसेज से सूचना दी गई थी। इसे शुद्ध नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में 18 अगस्त 2025 को बहस हुई, जिसके बाद आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता ने सदस्य अमरजीत कौर व अभिनव । अग्रवाल की मौजूदगी में वाद व्यय 10 हजार रुपये व सेवा में कमी करने के लिए अधिशासी अभियंता पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।