नई दिल्ली 05 सितंबर। सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में चले मुकदमे के दौरान आरोप लगाया गया कि गूगल ने आठ वर्षों तक लाखों यूजर्स के मोबाइल डिवाइस से डाटा इकट्ठा किया। यह डाटा तब भी जुटाया गया जब यूजर्स ने अपने अकाउंट की वेब एंड एक्टिविटी सेटिंग बंद कर दी थी। इससे गूगल पर प्राइवेसी वादों को तोड़ने का आरोप लगा।
यूजर्स ने इस क्लास एक्शन मुकदमे में 31 अरब डॉलर से अधिक हर्जाने की मांग की थी। हालांकि, जूरी ने गूगल को केवल 425 मिलियन डॉलर (करीब 37,540 करोड़ रुपये) का भुगतान करने का आदेश दिया।
जूरी ने गूगल को प्राइवेसी उल्लंघन के तीन में से दो आरोपों में दोषी पाया। हालांकि, यह भी माना गया कि गूगल ने दुर्भावना से काम नहीं किया। इसी वजह से कंपनी पर दंडात्मक क्षतिपूर्ति नहीं लगाई गई। गूगल के प्रवक्ता होसे कास्टानेडा ने कहा कि कंपनी इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। उन्होंने कहा, “यह फैसला हमारे प्रोडक्ट्स के काम करने के तरीके को गलत समझता है। हमारी प्राइवेसी टूल्स लोगों को उनके डाटा पर नियंत्रण देते हैं और जब वे पर्सनलाइजेशन बंद करते हैं, तो हम उस विकल्प का सम्मान करते हैं।”यूजर्स के वकील डेविड बॉयस ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि वे जूरी के इस निर्णय से बेहद संतुष्ट हैं।
कैसे हुआ डेटा कलेक्शन?
2020 में दायर इस क्लास एक्शन मुकदमे में दावा किया गया था कि गूगल ने अलग-अलग एप्स जैसे Uber, Venmo और Meta की Instagram के जरिए भी यूजर्स का डेटा जुटाया। ये सभी एप्स गूगल की एनालिटिक्स सेवाओं का इस्तेमाल करती हैं।
गूगल की सफाई
ट्रायल के दौरान गूगल ने तर्क दिया कि जो डाटा इकट्ठा किया गया, वह व्यक्तिगत नहीं था बल्कि प्सूडोनिमस (गोपनीय रूप से बदलकर रखा गया) था। साथ ही इसे सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और अलग स्थान पर स्टोर किया गया था। गूगल के अनुसार, इस डेटा का किसी यूजर की पहचान या गूगल अकाउंट से सीधा संबंध नहीं था।