नई दिल्ली 01 सितंबर। सितंबर महीने में चंद्रग्रहण समेत कई खास खगोलीय घटनाएं दिखने वाली हैं। इनमें पूर्ण चंद्रग्रहण, सूर्य ग्रहण, ग्रहों का पास आना और आकाशगंगा की चमक जैसी घटनाएं शामिल हैं। कई नंगी आंखों से दिखेंगी वहीं कुछ के लिए टेलीस्कोप जरूरी होगी।
भारत समेत एशिया, अफ्रीका में दिखेगा
7 सितंबर को पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा लाल या तांबे जैसा दिखाई देगा। इसे ब्लड मून कहा जाता है और यह भारत समेत एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों से दिखाई देगा। यह ग्रहण करीब 82 मिनट तक चलेगा। अगले ही दिन यानी 8 सितंबर की रात चंद्रमा, शनि और नेपच्यून एक-दूसरे के करीब दिखेगा।
बृहस्पति के पास जाएगा चांद
16 सितंबर को अर्धचंद्राकार चंद्रमा बृहस्पति के बेहद पास नजर आएगा, जिसके बाद 19 सितंबर को शुक्र चंद्रमा के पीछे से गुजरेगा। 21 सितंबर की रात शनि सबसे चमकीली अवस्था में होगा। 22 सितंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यह दक्षिण प्रशांत व अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा।
करीब आएगा नेपच्यून
23 सितंबर को नेपच्यून अपनी चरम चमक पर होगा और पृथ्वी के सबसे नजदीक पहुंचेगा। 24 की रात को मोतियों की माला नामक आकाशगंगा अपने उच्चतम बिंदु पर दिखाई देगी, जिसे दक्षिणी गोलार्ध से आसानी से देखा जा सकेगा। 27 सितंबर को 47 टुकाने नामक गोलाकार तारामंडल सबसे चमकीला दिखाई देगा।
भारत के कौन से शहरों में दिखेगा सबसे अच्छा नजारा?
ग्रहण पूरे भारत में नजर आएगा. लेकिन खुले आसमान और साफ मौसम वाले शहरों में नजारा सबसे शानदार होगा. इन शहरों में ‘ब्लड मून’ देखा जा सकेगा:
दिल्ली
मुंबई
कोलकाता
लखनऊ
पुणे
हैदराबाद
चंडीगढ़
‘ब्लड मून’ को सिग्नल मानता आया है इंसान
यह ब्लड मून खास है क्योंकि यह लंबी अवधि का होगा और बहुत बड़े क्षेत्र में नजर आएगा. लाखों लोग एक ही समय पर इस दृश्य का हिस्सा बनेंगे. इतिहास में ब्लड मून को कई सभ्यताओं ने शुभ-अशुभ संकेत माना है. कहीं इसे बदलाव का प्रतीक समझा गया तो कहीं खतरे का संकेत. आज इसे विज्ञान और खूबसूरती के नजरिए से देखा जाता है. वैज्ञानिक भी इस दौरान चांद की लालिमा का अध्ययन करते हैं. इससे पता चलता है कि धरती के वातावरण में कितनी धूल, प्रदूषण या ज्वालामुखी राख है.