मेरठ 22 फरवरी (प्र)। तीन बार मेरठ कालेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य रहे युद्धवीर सिंह के द्वारा दायर याचिका पर बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश के बाद एक बार फिर कालेज के प्रधानाचार्य के पद पर कौन रहेगा यह फैंसला प्रबंधन समिति के पाले में पहुंच गया है। बताते चले कि आयोग द्वारा पूर्व में डा0 मनोज रावत की नियुक्ति मेरठ कालेज के प्रधानाचार्य के पद पर किये जाने के लगभग सात आठ महीने बाद चर्चा अनुसार वर्तमान प्रबंधन समिति द्वारा अक्टूबर माह में मनोज रावत को युद्धवीर सिंह के स्थान पर प्रधानाचार्य बनाया गया था। तब से लगभग चार माह से डा0 मनोज रावत प्रधानाचार्य का कार्यभार संभाले हुए थे। अब पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पूर्व प्रधानाचार्य युद्धवीर सिंह की याचिका पर मनोज रावत की नियुक्ति निरस्त किये जाने पर दिये गये निर्देश के उपरांत अब प्रबंधन समिति को निर्णय लेना है कि वो मनोज रावत को अग्रिम कार्रवाई तक पद पर बने रहने का मौका देती है या अपने विवेक अनुसार हाईकोर्ट के निर्देश को सामने रख युद्धवीर सिंह को पुनः प्रधानाचार्य बनाती है।
स्मरण रहे कि इस संदर्भ में अवैतनिक सचिव प्रबंधन समिति के हस्ताक्षरों से 23 फरवरी को दिन में 11 बजे प्रबंधन समिति की अति आवश्यक बैठक बुलाई गई है। उसमें क्या फैंसला होगा यह तो उसके बाद ही तय हो पाएगा। लेकिन अभी वर्तमान में प्रधानाचार्य के पद पर आसीन डा0 मनोज रावत का कहना है कि इस संदर्भ में वो डबल बैंच में स्पेशल अपील के तहत अपने पक्ष की सुनवाई के लिए तैयारी कर रहे है। सोमवार तक वो डबल बैंच के सामने उपस्थित हो सकते है। डा0 मनोज रावत का कहना है कि 2012 में जब हाईकोर्ट ने आयोग द्वारा नियुक्त किये गये प्रधानाचार्यों की नियुक्ति निरस्त की थी तो भी अपना पक्ष रखने के लिए उच्च न्यायालय जाने का मौका मिला था। और स्टे मिलने तक हम सभी आयोग द्वारा तैनात प्रधानाचार्या कार्य करते रहे थे। और बाद में चार साल तक हम लोगों ने आयोग के द्वारा तैनात किये गये स्थानों पर काम किया था। तथा वर्तमान में भी अलीगढ़ के धर्मसभा कालेज में मुकेश भारद्वाज जिनकी तैनाती आयोग से ही हुई थी कार्य कर रहे है। इसलिए नियम अनुसार प्रबंधन समिति को मेरी याचिका पर अगली सुनवाई तक समय और मुझे काम करने का मौका देना चाहिए।
दूसरी ओर हाईकोर्ट से आये निर्णय पर अभी ना तो डा0 मनोज रावत को हटाया गया है और ना ही युद्धवीर सिंह की नियुक्ति की गई है। लेकिन कालेज में ठेके और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों में उत्साह व्याप्त है। उनका मानना है कि अगर युद्धवीर सिंह की तैनाती होती है तो सरकार द्वारा संविदाकर्मियों की जो तनख्वाहे बढ़ाई गई है उसके अनुसार वेतन मिलने लग सकता है। और कुछ लोगों का यह मत भी है कि अपने कार्यकाल में युद्धवीर सिंह द्वारा महिला छात्रावास पुनः शुरू कराने की प्रबंधन समिति के सदस्य रवि कुमार बिश्नोई द्वारा की गई मांग पर प्रयास शुरू कर दिये गये थे। जिससे यह स्पष्ट होता है कि आगे समस्याओं का भी समाधान होने के मार्ग खुलेंगे।
मामला क्योंकि हाईकोर्ट से संबंध है और निर्णय प्रबंधन समिति को लेना है इसलिए कोई भी टिप्पणी व्यक्तिगत करना सही नहीं है। कल तक इंतजार कीजिए क्या होता है।