Date: 10/12/2024, Time:

निर्माण निगम पूर्व एमडी के ठिकानों पर विजिलेंस के छापे

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लखनऊ 11 जनवरी। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में अंजाम दिए गए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले के आरोपी उप्र राजकीय निर्माण निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक सीपी सिंह के राजधानी स्थित तीन ठिकानों पर विजिलेंस ने बुधवार को छापा मारा। शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने मंगलवार को सीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज करने के बाद यह कार्रवाई की है। छापों में सीपी सिंह के दिल्ली, देहरादून, मुंबई, गुरुग्राम समेत कई अन्य शहरों में भी आलीशान प्रतिष्ठान, आवास आदि का भी पता चला है।

विजिलेंस की खुली जांच में दोषी पाए गए सीपी सिंह के विरुद्ध शासन की अनुमति पर विजिलेंस ने मंगलवार को ही आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था, जिसके बाद बुधवार को गोमतीनगर के विश्वास खंड स्थित उनके आवास समेत तीन स्थानों पर छापेमारी की गई। सुबह 10 बजे से देर रात तक छानबीन जारी रही।

एडीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण के अनुसार आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह कार्रवाई की जा रही है। आरोपित कई कंपनियों के निदेशक व कई कंपनियों के साझेदार भी हैं। इन कंपनियों व उनके माध्यम से खरीदी गई संपत्तियों की जांच भी शुरू की गई है। सीपी सिंह की लखनऊ, दिल्ली, मुंबई, गुरुग्राम व देहरादून समेत अन्य स्थानों पर संपत्तियां होने की जानकारी सामने आई है।

सूत्रों के अनुसार कई बैंक खाते व लाकर भी पते चले हैं, जिनकी गुरुवार को जांच होगी। आवास में एक जगुआर व बीएमडब्ल्यू कार भी मिली। विजिलेंस ने कोर्ट से वारंट प्राप्त कर बुधवार को सिंह के आवास के अलावा मदन मोहन मालवीय मार्ग तथा महानगर स्थित दो प्रतिष्ठानों में भी छापा मारा और घंटों छानबीन की।

विजिलेंस अधिकारियों ने लंबी पूछताछ करने के साथ ही उनके बयान दर्ज किए हैं। छापेमारी में कई संपत्तियों के दस्तावेज भी बरामद हुए। कई कंपनियों से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। करोड़ों रुपये की संपत्तियों की जानकारी मिली है, जिनका मूल्यांकन कराया जा रहा है।

बताते चले कि बसपा शासनकाल में हुए स्मारकों के निर्माण में सीपी सिंह के पास महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां थीं। विजिलेंस स्मारक घोटाले की जांच भी कर रहा है। स्मारक घोटाले की जांच ईडी भी कर रहा है। स्मारक घोटाले की जांच सबसे पहले लोकायुक्त संगठन ने की थी। लोकायुक्त ने मई 2013 में अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें लगभग 1400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में एसआईटी गठित कर घोटाले की विस्तृत जांच कराने समेत अन्य संस्तुतियां की थीं।
बाद में शासन ने स्मारक घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंप दी थी। विजिलेंस ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एक जनवरी, 2014 को घोटाले की पहली एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें बसपा के तत्कालीन मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा भी नामजद थे। विजिलेंस ने दो मंत्रियों व तत्कालीन अधिकारियों समेत 199 आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

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