Date: 22/12/2024, Time:

21 मार्च को होंगे यूपी विधानपरिषद के चुनाव, भाजपा के दसवें उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव जीत सकती हैं डॉ. सरोजिनी अग्रवाल

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बीती 27 फरवरी को संपन्न हुए राज्यसभा चुनावों के बाद अब यूपी विधानपरिषद के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है। टिकट किसे देना है इसके लिए पार्टी के दिग्गजों में विचार विमर्श और हर हाल में विधान परिषद में पहुंचना है ऐेसी आशा रखने वाले उम्मीदवारों द्वारा अपनी उम्मीदवारी तय कराने हेतु भाजपा और सपा में होड़ लगी हुई है। बताते चलें कि पांच मई को यूपी विधानपरिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होगा। जिनमें तीन सदस्य सपा के और दस भाजपा के जीतने की उम्मीद की जाती है। अगर दोनों दल अपने पास मौजूद वोटों के हिसाब से उम्मीदवार मैदान में उतारते हैं तो शायद इसके लिए चुनाव नहीं होगा। लेकिन विधानसभा में रिक्त चार सीटों के चलते वर्तमान में 399 विधायकों में से 108 सपा के पास हैं और एक एमएलसी को जीतने के लिए 29 विधायकों के वोट चाहिए। इस हिसाब से सपा के 87 विधायक तीन सदस्यी विधानपरिषद के जीता सकते हैं लेकिन अगर सपा ने 11 वां उम्मीदवार मैदान में उतारा तो उसके 18 विधायक चौथा उम्मीदवार तो नहीं जीता पाएंगे क्योंकि उन्हें किसी अन्य दल के विधायकों के मत मिलना आसान नहीं है मगर इस परिस्थिति में चुनाव होना अनिवार्य है। भाजपा के पास इस समय सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 277 विधायक और रालोद के नौ विधायकों को मिलाकर 286 हैं। रघुराज प्रताप की पार्टी के दो विधायक भी इनके साथ आ सकते हैं इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि 288 विधायक भाजपा के पास अपने होंगे और उसे दस उम्मीदवार जिताने के लिए 290 मत चाहिए। ऐसे में दो मत तो तोडफोड़ कर अपने उम्मीदवार को दिलाने में सफल भी हो सकती है क्योंकि सत्ताधारी दल के पास देने और लेने के लिए बहुत कुछ होता है।
अब जैसी कि चर्चा है कि पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल मेरठ सहित पुराने सदस्य भी दावेदारी कर रहे हैं और कई निष्ठावान नेता और कार्यकर्ता भी इस उम्मीद में है कि उन्हें भी विधानपरिषद में जाने का मौका मिलेगा। इसलिए देखना यह है कि 21 मार्च को विधानपरिषद के होने वाले चुनाव में भाजपा किस किस को उम्मीदवार बनाती है। एक बात जरूर है कि अगर तीन बार की एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल को भाजपा अपना दसवां उम्मीदवार भी घोषित करती है तो भी उन्हें जीतने में परेशानी नहीं होगी क्योकि उन्हें सपा के कुछ वोट आसानी से मिल सकते हैं।
क्योंकि कोई कुछ भी कह ले लेकिन सपा से भले ही बिगाड़ हो जाए लेकिन पुराने संबंधों को निभाने और अपने से जुड़े रहे नेताओं को सपोर्ट करने में सपा पीछे नहीं रहती। इसके उदाहरण के रूप में कुछ साल पूर्व यूपी के पूर्व सीएम स्व. बनारसी दास गुप्ता के पुत्र हरेंद्र अग्रवाल को जब कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया तो उनके पास जीतने लायक वोट नहीं थे उस समय सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बनारसी दास गुप्ता से अपने संबंधों को ध्यान में रखते हुए हरेंद्र अग्रवाल को दस से ऊपर अपने विधायकों के वोट दिलाकर उन्हें एमएलसी बनवा दिया था। वैसे भी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल मृदभाषी और सबकी मदद करने वाली नेता है इसलिए उनकी सज्जनता के नाम पर भी उन्हें अन्य दलों के वोट एमएलसी बनने के लिए आसानी से मिल सकते हैं।
प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य पत्रकार व संपादक

 

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