सोशल मीडिया की आलोचना करने वाले एवं हमेशा मुददा कोई भी हो इसका नाम लेकर इसके विरूद्ध कार्रवाई करने का दम भरने वाले आलोचकों को अब समझ लेना चाहिए कि ग्रामीण कहावत कौओं के कोसने से ढोर नहीं मरते के समान कुछ लोगों द्वारा की जाने वाली आलोचना से सोशल मीडिया का प्रभाव कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। आश्चर्य इस बात का है कि जो लोग पत्रकार सम्मेलन में बैठकर इसकी आलोचना करते हैं उनमें से लगभग 99 प्रतिशत लोग किसी ना किसी रूप से में सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। अब तो स्थिति यह है कि द कर्न्वेशन के हवाले से छपे एक लेख में सोशल मीडिया को लेकर चिंता व्यक्त की गई तो यह भी कहा गया है कि इसके लाभ भी है। तथा सोशल मीडिया की बहुत सामग्री काफी हद तक हानिरहित हो सकती है। जिस बातों के लिए उन्होंने चिंता व्यक्त की है मुझे लगता है कि वो भी समयानुसार ठीक नहीं है क्योंकि अब बच्चा भी होश संभालते ही मोबाइल चलाने लगता है और मां बाप भी गर्व से बताते हैं कि उनका बेटा मोबाइल पर बहुत कुछ करने की कोशिश करता है। इसलिए 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सुझाव का कोई मतलब नजर नहीं आता है। दुनियाभर में कितने ही युवा और बच्चे 10 साल की उम्र में सोशल मीडिया से अपनी पढ़ाई व्यवसाय को मजबूत करने के साथ धन और नाम भी कमा रहे हैं। जहां तक इसको लेकर यह चिंता व्यक्त की जाती हे कि बच्चों में गलत आदतें पड़ेंगी तो ऐसा तो कहीं भी हो सकता है। सोशल मीडिया पर तो हर ज्ञान प्राप्त है तो अच्छे बुरे की पहचान बच्चे आसानी से कर सकते हैं।
वर्तमान में केंद्र सरकार प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक 2024 में सोशल मीडिया की न्यूज इंफ्लूएसर्स को डिजिटल समाचार प्रसारक की भूमिका में ला सकती है। इसे लेकर सरकार ने नया मसौदा तैयार किया है। जिसके बाद इसे डिजिटल न्यूज ब्राडकास्ट की श्रेणी बनाई जा सकती है। इसके अलावा केंद्र व प्रदेश सरकारें सोशल मीडिया को मान्यता देने के लिए कई प्रयास कर रही हैं।
सीएम ने फॉलोवर्स बढ़ाने व सोशल मीडिया से जुड़ने को विधायकों से कहा
सबसे बड़ा प्रयास और सोशल मीडिया की उपलब्धि इस बात से ही पता चलता है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के फॉलोवर की संख्या को लेकर दुनिया में उनके समकक्ष नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर बीते दिनों लखनऊ के लोकभवन में एनडीए विधायक मंडल की बैठक में प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया को लेकर ली गई क्लास में विधायकों की बोलती बंद करते हुए उन्हें ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया से जुड़ने और अपने फॉलोवर की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए कह कि अब चुनाव इसी के सहारे भी मजबूती से लड़ा जा सकता है। एक खबर के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जुदा अंदाज ने बीते सोमवार को भाजपा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को हैरत में डाल दिया। शायद मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा कर दिया था, जिसकी विधायकों को कतई उम्मीद नहीं थी। योगी ने भाजपा विधान मंडल दल की बैठक में विधायकों की सोशल मीडिया को लेकर क्लास ली। इस प्लेटफार्म पर उनकी सक्रियता का कच्चा-चिट्ठा भी बता दिया। उन्होंने बताया कि कितने विधायक हैं, जिनका फेसबुक और एक्स पर अकाउंट ही नहीं हैं। यह संख्या भी बताई कि कितने लोगों का अकाउंट तो है लेकिन वे निष्क्रिय हैं। मुख्यमंत्री ने पूछा कि आगे की बड़ी लड़ाई क्या इस तैयारी के साथ लड़ी जाएगी।
लोकभवन में हुई एनडीए विधान मंडल दल की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब सोशल मीडिया क्लास शुरू की तो तमाम विधायकों-एमएलसी भौचक्के रह गए। उन्होंने संख्या सहित बताया कि इतने विधायक एक्स पर हैं ही नहीं। कितने लोग हैं तो मगर उनके फॉलोअर बेहद कम हैं। कितनों के फेसबुक पर अकाउंट ही नहीं हैं। कुछ लोग अकाउंट देखते तक नहीं हैं।
सोशल मीडिया पर एक बड़ी लड़ाई लड़ी जानी है
मुख्यमंत्री ने विधायकों के नाम तो नहीं लिए मगर यह जरूर कहा कि जल्द इस संबंध में सारे विधायकों को वे पत्र भी भेजेंगे। इस पत्र में संबंधित विधायक की सोशल मीडिया पर सक्रियता का पूरा कच्चा-चिट्ठा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भ्रांतियां फैलाने का काम सोशल मीडिया पर हुआ। यदि सब लोग सक्रिय होते तो समय रहते इसे रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि एक बड़ी लड़ाई सोशल मीडिया पर लड़ी जानी है। इसके लिए सारे विधायकों-एमएलसी को सक्रिय होना होगा। तभी विपक्ष के झूंठे एजेंडे को खारिज किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में विधायक समय से पहुंचें। पूरे समय मौजूद रहें। मंत्री पूरी तैयारी के साथ आएं और प्रभावी ढंग से अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि समय का पाबंद होना जरूरी है।
सोशल मीडिया के बिना काम संभव नहीं
ये तो रही राजनेताओं की बात देश के महानगरों और आदिवासी क्षेत्रों से लेकर गांव देहात तक सोशल मीडिया अपने पैर जमा रहा है। इसके उदाहरण के रूप में सरकारी कार्यालयों में कोई भी काम आसानी से सोशल मीडिया के बिना संभव नहीं हो पा रहा है। पूर्व में एक कहावत खूब सूनी जाती थी कि बच्चा पैदा होने से लेकर मरने तक पुलिस के डंडे की आवश्यकता पड़ती और इनका दखल भी बढ़ रहा है को देखते हुए कहा जा सकता है कि दुनिया में अब शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां सोशल मीडिया का दखल ना हो। और लोग इसका लाभ ना उठा रहे हो।
हीनभावना से निकलकर
इसलिए हीनभावना हो या कुछ और सोशल मीडिया की आलोचना करने वाले दोस्तों अब इस मामले में अपना समय और बुद्धि खपाने की बजाय अगर सोशल मीडिया की महत्ता जो आप सब भी मानते हैं अब खुलकर भी मान लो तो ही अच्छा है क्योंकि अब इसकी रफतार ना तो किसी से रूकने वाली है और ना ही समाप्त होने वाली। आंदोलनों के समय जो एक नारा बुलंद होता है जो हमसे टकराएगा चूर चूर हो जाएगा के समान जो सोशल मीडिया से दूरी बनाएगा वो अपने घर तक सिमटकर रह जाएगा। इसलिए आओ इसे अपनाकर इसमें कुछ गलत लगता है तो सुधार के सुझाव देकर सोशल मीडिया से जो ज्ञान प्राप्त हो सकता है आगे बढ़कर उसका लाभ उठाएं और वक्त की चाल से कदम मिलाकर आगे बढ़ें।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
यूपी के सीएम ने विधायकों से कहा: ज्यादा से ज्यादा जुड़ो सोशल मीडिया से! पीएम के फॉलोवरों की संख्या को लेकर लोग दे रहे हैं उन्हें बधाई, इसे कोसने वाले अब हीनभावना के चक्रव्यूह से बाहर निकल आलोचना बंद करें
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