asd परिवार की सुख शांति और बीमारियों को दूर भगाने के लिए साईकिल को अपनाएं, खूब चलाएं

परिवार की सुख शांति और बीमारियों को दूर भगाने के लिए साईकिल को अपनाएं, खूब चलाएं

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वर्तमान समय में समय का अभाव और बढ़ती भागमभाग के चलते लोग गांव देहात ही नहीं शहरों में भी बाइक स्कूटी पर सवार होकर जल्द पहुंचना चाहते हैं। शायद इसीलिए प्रतिदिन किसी ना किसी नई बीमारी होने या इसके बदलते स्वरूप के बारे में पढ़ने सुनने को मिलने लगा है। अब तो स्थिति यह हो रही है कि पहले जो डाकिया साईकिल से दस किमी दूर डाक बांटने जाता था और दूध की सप्लाई किया करते थे वो भी अब बाइक स्कूटी पर नजर आने लगे हैं। हो सकता है कि समय थोड़ा बच रहा हो लेकिन अगर सर्वे कराया जाए तो साईकिल छोड़कर दोपहिया वाहन को अपनाने वालों को ज्यादा बीमारी झेलनी पड़ सकती है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण के रूप में हम इसको देख सकते हैं कि देश में बड़े डॉक्टर व्यापारी और धनवान स्वास्थ्य सही रखने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सभी सुविधाएं होने के बाद भी साईकिल चला रहे हैं। अगर पूरे दिन नहीं तो खाली समय के काम को इनके द्वारा साईकिल से निपटाए जा रहे हैं।
दोस्तों सब बातों को भूलकर अब समय आ गया है कि शहर गांवों में जनहित में साइकिल चलाने को प्रोत्साहन दिया जाए तथा इसके लिए सरकार भी थोड़ा ध्यान दे। अच्छी सड़कों के साथ ही चौड़े साईकिल मार्ग बनाए जाए। इससे बीमारियां घटेगी। आम आदमी स्वालंबी बनेगा और सरकार को जो खर्च करना पड़ता है उस पर भी रोक लगेगी तो आओ अपनी और परिवार की खुशहाली के लिए रोजाना कुछ घंटे साईकिल चलाने और घरेलू काम 5 से 7 किमी की दूरी में साईकिल से निपटाने शुरू करें। एक बार अच्छी तरह समझ लें कि साईकिल चलाना ना तो पहले किसी प्रकार की कमजोरी का परिणाम था और ना अब है। इसका रूतबा दुनियाभर में जब तक हम रहेगे कायम रहेगा। पहले दिखाई और पता चलता हैं बड़े लाट साब और पुलिस अधिकारी साईकिल से अपने क्षेत्र का दौरा करते थे। लेकिन अब हर कार्य का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है इसलिए दूर तक जाना साईकिल से संभव नहीं है क्योंकि समय का अभाव है। मगर पांच सात किमी के क्षेत्र में हम आज भी साईकिल से अपने रोजमर्रा के कार्य और सरकारी अफसर घर के पास बने दफतरों में आ जा सकते है। साईकिल का कितना प्रभाव है यह उस समय नजर आता है जब पेट्रोल डीजल की महंगाई के विरोध से हमारे जनप्रतिनिधि साईकिल से चलते हैं जो इस बात का प्रतीक है कि साईकिल हमारी आन बान शान है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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