किसान नेता स्वर्गीय बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत की तेहरवीं पुण्यतिथि बीते दिवस भाकियू की जिला ईकाई द्वारा भूनी टोल प्लाजा पर मनाई गई। जिसमें बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत के आदर्शों पर चलने और उनके दिखाये मार्ग को अपनाने का निर्णय लेने के साथ ही कार्यकर्ताओं ने 101 यूनिट रक्तदान भी किया तथा इस मौके पर जंगल जल और जमीन को बचाने का भी निर्णय लिया गया। कुछ वर्ष पूर्व बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए मेरठ में सीडीए ऑफिस के सामने स्थित मैदान में कई दिन तक धरना दिया था जो शांतिप्रिय तरीके से संपन्न हुआ था तब नारे लगे थे आज का गांधी बाबा टिकैत। आज उनकी तेहरवीं पुण्यतिथि के मौके पर जो ये निर्णय लिये गये उन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि बाबा का संगठन आज भी जनहित की सोच पर चलने और उसे लागू कराने का काम कर रहा है। क्योंकि इस समय माहौल में व्याप्त प्रदूषण की समाप्ति और जन समस्याओं के समाधान का काम भाकियू कार्यकर्ता कर रहे है। अगर ध्यान से सोचे तो वर्तमान में अगर हम पेड़ पहाड़ जल जमीन का दोहन बंद कर दे तो कई समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकता है। भाकियू के जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी के नेतृत्व में यह जो निर्णय लिये गये उसके लिए उन्हें बधाई।
मुझे लगता है कि फिलहाल हरियाली की समस्याओं का समाधान सरकार हर वर्ष करोड़ो वृक्ष लगवाकर करने की ओर अग्रसर है। पहाड़ों और जमीन को बचाने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे है। जानकार और बड़े बुजुर्ग कहते है कि जिस तरह से पीने योग्य शुद्ध पानी की समस्या हमारे सामने खड़ी है अभी भी अगर हम नहीं संभले तो अगला युद्ध पानी को लेकर हो सकता है। बात सच भी हो सकती है। हम सब पानी कहीं से पैदा तो नहीं कर सकते लेकिन पीने योग्य जल को बचाकर जमीन में इसका जल स्तर बढ़ाने में योगदान जरूर कर सकते है। और इस मामले में सबसे बड़ी आवश्यकता उन लोगों के सोचने की है जो टंकियों में मोटे मोटे पाईप लगाकर कभी गाड़ी धोने के नाम पर और कभी घर के आगे छिड़काव के नाम पर पानी की बर्वादी कर रहे है। मुझे भी लगता है कि हम गाड़ी भी धोये घर के आगे छिड़काव भी करे लेकिन पानी की बर्वादी किसी भी प्रकार में न करे। सरकार प्रशासन जागरूक नागरिक इस संदर्भ में भरपूर अपील कर रहे है मगर पता नहीं कुछ लोग पानी को अपने बाप की जहांगीर और इसकी बर्वादी को दादा का दिया गया अधिकार समझकर उपयोग करने वाले अकल के अंधों को कब समझ आयेगी कि आज भी कुछ लोग बूंद बूंद पानी को तरस रहे है। और अपने यहां भी कई प्रदेशों मे एक एक बाल्टी पानी के लिये मारपीट और हंगामा होता है मगर ये शहशाह की औलाद जब चाहे मुंह उठाकर पानी बहाने लगते है। ऐसा क्यों हो रहा है और ये कैसे रूकेगा यह सोचना सरकार और प्रशासन के साथ आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है। यह सब जानते है कि मातृ शक्ति इस समाज उत्थान मे हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है और अपने बच्चों की बात कोई नहीं टालता इस महत्वपूर्ण विषय पानी बचाने के मुद्दे पर मातृ शक्ति घर की महिलाऐं और बच्चे परिवार के पुरूषों को या उनके इशारे पर उनके कारिदों को जल का दुप्रयोग करने से रोक सकते है। दोस्तो जल ही जीवन है यह कोई किदवंती नही अटल सत्य है इसलिए हम सबका यह प्रयास होना चाहिए कि हम लड़े झगड़े तो किसी से नहीं और न बददिमागी करे। लेकिन जितना प्रयास हो सकता है उससे जीवन के लिए उपयोगी जल को बचाने का काम जरूर कर सकते है और सबसे बड़ी बात हम खुद इस संदर्भ में पहल कर इस मुद्दे को जनहित का अभियान बना सकते है भले ही पानी को अपने बाप की जहागीर समझने वालों को अभी अकल न आये लेकिन जिस दिन सरकार मोटे जुर्माने ठोकने लगेगी और यह मुद्दा जन अभियान बन जाएगा उस दिन अपने आप को तिसमारखां समझने वाले पानी की बर्वादी करने की बजाए घर में घुसकर बैठ जाएंगे। लेकिन हम सबको औरों के साथ साथ फालतू के कामों मंे कम से कम पानी का उपयोग करने की नीति पर आगे बढ़ना होगा। वर्ना आज तो लोग एक बाल्टी पानी के लिए लड़ रहे है कल को हम एक जग पानी के लिए भी लड़ने को मजबूर होंगे।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जल की बर्वादी करने वाले अकल के अंधो यह भावी पीढ़ी की अमानत है किसी के बाप की जागीर नहीं है!
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