Date: 23/10/2024, Time:

इस बार यूपी में काम न आईं बाहुबलियों से गलबहियां

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लखनऊ 06 जून। एक समय था जबकि अपराधी प्रदेश की राजनीति में सीधा दखल रखते थे और खुद भी सांसद-विधायक चुने जाते थे, लेकिन इस बार मतदाताओं ने उनके प्रभुत्व को भी नकार दिया है। इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक बाहुबली चुनाव लड़ते तो न दिखे, हां जौनपुर और फैजाबाद में उनकी सक्रियता जरूर रही, लेकिन वे भाजपा उम्मीदवारों को जीत न दिला सके।

राजनीतिक दलों के लिए भले ही बाहुबलियों की अपनी उपयोगिता हो पर मतदाता उन्हें नकारने लगे हैं। लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों व नतीजे पर नजर डालें तो इसके साफ संकेत मिलते हैं। फैजाबाद की गोसाईंगंज सीट से सपा के बाहुबली विधायक अभय सिंह राज्यसभा चुनाव के दौरान बागी हो गए थे। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के बाद वह खुलकर भगवा खेमे में खड़े हुए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान ही उनके पिता व पत्नी भी भाजपा में शामिल हुई थीं। माना जा रहा था कि अभय सिंह फैजाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतरे लल्लू सिंह के लिए मददगार साबित होंगे पर ऐसा हुआ नहीं । लल्लू सिंह को हार का सामना करना पड़ा।

जौनपुर में कृपा शंकर सिंह की राह आसान करने के लिए भाजपा ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपने साथ जोड़ा। 2009 लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट से बसपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करने वाले धनंजय सिंह ने इसके बाद लोकसभा व विधानसभा चुनाव में किस्मत तो आजमाई पर कामयाब नहीं रहे। इस बार धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी को जौनपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। श्रीकला को बसपा से टिकट मिला, जो बाद में कट गया। इसके बाद धनंजय भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने उतरे पर अपना कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके। पिछले चुनावों में माफिया बृजेश सिंह, पूर्व विधायक विजय मिश्रा, पूर्व सांसद डीपी यादव, रिजवान जहीर, उदयभान करवरिया व अमरमणि त्रिपाठी समेत अन्य बाहुबलियों का दबदबा देखने को मिलता रहा है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ जो राजनीति के लिए अच्छा संकेत है।

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