एक खबर के अनुसार यूपी का हर व्यक्ति दे रहा है 7558 रूपये अधिक कर। जिससे यह साफ है कि उप्र के लोग सरकारी टैक्स देने के मामले में काफी अग्रणीय है। उसके बावजूद जो समस्याएं नागरिकों के समक्ष आ रही है और उनका समाधान नहीं हो पा रहा है ऐसा क्यों हो रहा है इस बारे में सरकार को अब सोचना होगा। मेरा मानना है कि जब हम टैक्स भरपूर दे रहे हैं तो उन्हें सुविधाएं और सुरक्षा का माहौल भी पूर्ण रूप से मिलना चाहिए। जहां तक सुनने को मिलता है नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों की तनख्वाह पर ही काफी बजट खर्च हो जाता है और जो करदाता है उसका नंबर आते आते शायद वित्तीय स्थिति कमजोर हो जाती है इसलिए मेरा मानना है कि सरकार को एक अध्यादेश जारी कर सरकारी हुक्मरानों के खर्चो में कटौती और बंदिश करनी चाहिए और जो पैसे की बचत हो उससे आम आदमी के हित के साधन जुटाए जाएं अभी तक एक खबर के अनुसार जो पैसा टैक्स के रूप में मिल रहा है वो अन्य व्यवस्थाओं में खर्च हो रहा है। सरकार पेंशन और प्रशासनिक खर्चों की व्यवस्था के लिए आय के अन्य स्त्रोत तलाश करे जिससे आम जनमानस पर वित्तीय प्रभाव ना पड़ता हो।
एक खबर के अनुसर राज्यों के तय खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। 2023 के मुकाबले 2024 में इसमें 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट समीक्षा में भारतीय स्टेट बैंक ने तय खर्च पर चिंता जताई है और राज्यों को सलाह दी है कि विवेकपूर्ण फैसले लें। कुछ राज्यों का तय खर्च राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। ऊपर से राजकोषीय घाटे के मुकाबले राज्यों द्वारा ली जाने वाली उधारी पर गारंटी की रकम भी बढ़कर दो गुना हो गई है।
राज्यों द्वारा पेंशन, ब्याज और प्रशासनिक सेवा से जुड़े खर्चों को तय खर्च कहा जाता है। 2023 में 12.2 लाख करोड़ रुपया तय खर्च में गए जो 2024 में बढ़कर 13.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें भी बिहार, पंजाब, यूपी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले तय खर्च राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जबकि इन राज्यों में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम है। जीडीपी के मुकाबले तय खर्च का राष्ट्रीय औसत 4.75 प्रतिशत है, लेकिन इन राज्यों में उससे कहीं ज्यादा है। खासकर बिहार, पंजाब और राजस्थान में यह खर्च छह फीसदी से ऊपर है। जबकि प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत 194879 रुपये है, लेकिन इन राज्यों में उससे कम है।
यह बात सही है कि सरकार को सबके बारे में सोचना पड़ता है। मगर यह भी ध्यान रखना होगा कि जो कमा रहा है और सरकार को दे रहा है उसे भूखा ना सोना पड़े। कर देने वालों का भी ध्यान सरकार को रखना होगा। तभी गरीब आदमी खुशहाल रहेगा और देश तरक्की कर आगे बढ़़ेगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
हुक्मरानों के खर्चों में हो कटौती! कर देने वालों का भी ध्यान सरकार को रखना होगा। तभी गरीब आदमी खुशहाल रहेगा
0
Share.