asd जाम की समस्या का समाधान अवैध कॉलोनियां काटने और निर्माण करने वाले नहीं करा सकते – tazzakhabar.com
Date: 18/04/2025, Time:

जाम की समस्या का समाधान अवैध कॉलोनियां काटने और निर्माण करने वाले नहीं करा सकते

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जाम किसी एक शहर या जगह के नागरिकों की परेशानी नहीं है। अब तो यह एक आम समस्या बन गई है जो हर जगह के विकास और नागरिकों के जीवन में रूकटाव का सबसे बड़ा कारण कह सकते हैं और क्योंकि इसमें सुधार के लिए जितना पिछले कुछ वर्षों में देखा योजनाएं ओैर समितियां भी खूब बनती है लेकिन वो कुछ कर नहीं पाती। कितने ही लोगों का कहना है कि सुधार के लिए जो लोग पुलिस और यातायात पुलिस के अधिकारियो के साथ बैठक लंबी लंबी बातें करते हैं। वो शहर की व्यवस्था तो क्या अपने घरों की आसपास की स्थिति में सुधार कराने का प्रभाव नहीं रखते हैं।
इस बारे में आशा की किरण हाईकोर्ट मे दायर जनहित याचिका के रूप में दिखाई दे रही है कि अगर हाईकोर्ट द्वारा कोई सख्त निर्णय अफसरों को दिया गया तो थोड़ा सुधार होने की उम्मीद की जा सकती है।
एक खबर यह भी अच्छी है कि उत्तर प्रदेश के जिलों में पहले चरण में 56200 महिलाओं को दो पार्ट में मिशन शक्ति के तहत छह दिन का प्रशिक्षण ई रिक्शा चलाने का दिया जाएगा। जिसके बाद हर जिले में लगभग 250 महिलाएं ई रिक्शा का संचालन कर सकती है। और क्योंकि ई रिक्शा पर इन्हें 50 हजार की सब्सिडी प्रदान की जाएगी इसलिए सरकार का यह सपना तो साकार हो सकता है और इससे यह फायदा होगा कि महिलाएं अपनी ड्राइविंग के दौरान नागरिकों के लिए समस्या का कारण नहीं बनेगी।
प्रदेश के सभी जिलों में वैसे तो यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए अफसर भी बढ़ाए जा रहे हैं और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाइ जा रही है। इस काम में छात्रों और सामाजिक संगठनों का सहयोग भी लिया जा रहा है। उदाहरण के लिए हम यूपी के मेरठ जिले में यातायात पुलिस की प्रबंध समिति को देख सकते है। इस समिति में जो सदस्य बने हैं उनके लिए क्या नियम तय किया गया था यह तो अफसर ही जान सकते हैं लेकिन एमएस जैन जैसे लोग जो खुद अवैध निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए आए दिन जाम का कारण बनते हैं उन्हें भी इसमें स्थान दिया गया है। पाठक आसानी से अंदाज लगा सकते हैं कि जो लोग खुद अवैध कॉलोनिया काटने अवैध निर्माण के आरोपी हो वो कैसी सुचारू व्यवस्था जाम से मुक्ति दिलाएंगे यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। जहां तक स्कूलों की बात है तो शहर का हर नागरिक जानता है कि छुटटी के समय शहरों में जाम का कारण इनके संचालक या प्रधानाचार्या बनते हैं क्येंकि अवैध निर्माणों में स्कूल तो खोल दिए लेकिन ना अभिभावकों के बैठने की व्यवस्था की गई है। जब वह आते हैं तो सड़क पर वाहन ही नजर आते है। जिससे आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री जी अभी मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है अगर जाम की समस्या ऐसे ही विकट होती रही तो कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा भी खटखटा सकते है। ऐसा ना हो इसके लिए अधिकारियों को निदेश दे कि उन लोगों को समिति में रखा जाए जो जाम का कारण ना बनते हो और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने में सक्षम हो। वरना तो योजनाएं बनती रहेंंगी और फाइलों में बंद होती रहेगी और स्थिति बदतर होती रहेगी।

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