asd संगम की तरह है नया केंद्रीय मंत्रिमंडल

संगम की तरह है नया केंद्रीय मंत्रिमंडल

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केंद्र सरकार का नया मंत्रिमंडल निरंतरता का सबूत है इस बात से साबित है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी टीम पर एक बार फिर भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक बार फिर प्रमुख विभागों को अपनी आजमाई हुई टीम को मौका दिया है । मंत्रिमंडल में अनुभव, उत्साह और विचारों वाले को जगह मिली है। यह मंत्रिमंडल गहरी राजनीतिक सूझबूझ वालो से युक्त है । लंबे समय तक राज्य सरकारों को चलाने वाले 7 पूर्व मुख्यमंत्री इस सरकार में शामिल हैं। कैबिनेट में नरेंद्र मोदी सहित सात पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं । जिनमें मोदी खुद गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और राजनाथ सिंह (उप्र), शिवराज सिंह चौहान (मप्र), सर्वानंद सोनोवाल (असम), एचडी कुमारस्वामी (कर्नाटक) ,मनोहरलाल खट्टर(हरियाणा), जीतनराम मांझी (बिहार) मुख्यमंत्री रहे हैं । एस.जयशंकर भी सरकार के विदेश सचिव और विदेश मंत्री रह चुके हैं । पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव अटलबिहारी सरकार में उनके सचिव पद पर रह चुके है ,और अब उन्हे रेलवे जैसा प्रमुख मंत्रालय मिला है और इनके जैसे ही नौकरशाह रहे हरदीप सिंह पुरी भी सरकार में जान डालने का काम करते है । नितिन गडकरी का महाराष्ट्र सरकार से लेकर अब केंद्र में 10 साल का कार्यकाल और उनके द्वरा मिनिस्टर रहते हुए लागू की गयी नीतियों व कार्य सब को ज्ञात है । देश में हुई परिवहन और सड़क क्रांति के वो नायक हैं और केंद्र में सबसे लंबे समय तक परिवहन मंत्री रहने का रिकार्ड उनके नाम हैं।
भाजपा के पास अनुभवी मंत्रियों की टीम है इसमें दो राय नहीं है । धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी, किरण रिजिजू, भूपेंद्र यादव, जोएल ओराम, गजेंद्र सिंह शेखावत, डा. वीरेंद्र कुमार, ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी हस्ताक्षर बन चुके हैं। सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में ये सभी काम कर अपना लोहा मनवा चुके है ।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजनाथ सिंह और अमित शाह सरकार के कष्टहरक हैं । राजनाथ सिंह जहां सहयोगी दलों से बढ़िया संवाद रखते है है , तो अमित शाह अपने कुशल राजनीतिक प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं । इस सरकार में सहयोगी दलों के 11 मंत्री हैं। जबकि 2014 में 5 और 2019 में सहयोगी दलों के 4 मंत्री शामिल थे। यह संख्या अभी और बढ़ सकती है। ऐसे में सरकार में कुशल प्रबंधन की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। आने वाले समय में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव भी होने हैं। यही मौजूदा सरकार का टेस्ट भी होगा ।
मंत्रिमंडल में युवाओ का ख्याल रखते हुए भी खास मौके दिए गए हैं।, केरल, तमिलनाडु से लेकर जम्मू कश्मीर तक का प्रतिनिधित्व इस सरकार में है। पांच अल्पसंख्यक समुदायों से भी सरकार में मंत्री बने हैं। अभी तक की स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सुशासन को लेकर सरकार पर कोई दबाव नहीं है। लेकिन समान नागरिक संहिता, मुस्लिम आरक्षण, जातीय जनगणना, राज्यों को विशेष दर्जा जैसे मुद्दे मतभेद का कारण जरूर बनेंगे।
सहयोगी दलों के साथ संतुलन और उनकी महत्ता बनाए रखते हुए चलना सरकार की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह अपने नेतृत्व से एनडीए को संभालते हुए काम प्रारंभ किया है। वे आसानी से विवाह अगर होते है तो हल भी निकाल ही लेंगे।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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