जनहित में सरकार के करों की वसूली के लिए नियमानुसार प्रयास किया जाना गलत नहीं कह सकते। इसलिए उस पर कार्रवाई भी होनी चाहिए लेकिन जहां तक बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालक को पेट्रोल ना देने और 50 हजार से ज्यादा गृहकर बकाया होने पर निगम लगाएगा सील जैसे आदेश पूरी तौर पर अव्यवहारिक और नागरिकों के उत्पीड़न कारी कहे जा सकते हैं। क्योंकि नगर निगम के अधिकारी सात हजार बकायेदारों की सूची तैयार कर 15 दिन का डिमांड नोटिस देकर चेतावनी दे रहे हैं कि अगर बकाया भुगतान नहीं किया गया तो निगम लगाएगा सील। दूसरी तरफ जिला पूर्ति अधिकारी की अध्यक्षता में पेट्रोलियम कंपनी के क्षेत्रीय अधिकारियों संग बैठक में फरमान जारी किया गया कि बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालकों को नहीं दिया जाएगा पेट्रोल। मुझे लगता है कि वर्तमान परिस्थितियों में दोनों ही निरकुंश आदेश है। क्योंकि हेलमेट को लेकर जो नियम है उन्हें ध्यान में रखकर यह आदेश किया गया है कि लेकिन डीएसओ यह भूल गए कि सरकार ने पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को कुछ सुविधा दिलाने के लिए कई नियम बनाए हैं जिनका पालन जिला पूर्ति विभाग के अधिकारी नहीं करा पा रहे हैं। पेट्रोल पंप संचालक इन पर कितना हावी है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सुरजुकूड पर एक पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने इनके अधिकारियेां पर हमला किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुईं। वहीं दूसरी ओर नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम की ओर से डिमांड नोटिस तो भेजे गए लेकिन सरकार ने जो सुविधाएं नागरिकों को इनके माध्यम से उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर निर्देश दिए गए हैं वो इनके द्वारा उपलब्ध कराई गई कहीं नजर नहीं आती है। नगर निगम के अधिकारी इस मामले में तो सील लगाने की बात कर रहे हैं लेकिन इनके कार्यालय में भ्रष्टाचार लापरवाही की खबरें खूब पढ़ने सुनने को मिलती है उनमें क्या कार्रवाई हुई इस बारे में इन्हें सोचने की इन्हें फुरसत नहीं है। इसलिए मेरा कहना है कि पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी द्वारा जो सुविधाएं जनता को उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें लागू कराने में असफल अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो। पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के पेट्रोल देने से मना करने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि वाहन चालक की कोई मजबूरी तो नहीं है। क्येांकि कभी ऐसा भी होता है कि वह स्कूटर पर हेलमेट टांगकर कहीं गया नहीं कि उसका हेलमेट चोरी हो गया या सिर में इतना दर्द उठाा कि हेलमेट बर्दाश्त से बाहर हो गया और इसी दौरान पेट्रोल खत्म हो जाए तो वाहन चालक क्या करेगा। इसलिए उसे पेट्रोल देने से मना करने से पहले उसकी मजबूरी को देखा जाए और सभी जिलों के जिला पूर्ति विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं को सुविधाएं देने के निर्देशों का पालन कराएं तब पेट्रोल देने से मना करना और गृहकर बकाया पर सील लगाने की कार्रवाई अगर की जाए तो किसी को विरोध नहीं हो होगा लेकिन जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कार्यप्रणाली सरकारी कार्यालयों में नहीं चलत सकती। क्योंकि यहां संविधान के तहत सारा काम होना चाहिए और नगर निगम हो या जिला पूर्ति विभाग दोनों ही इन मामलों में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असफल नजर आ रहे हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सीएम यूपी के निर्देशों व नियमों का हो पालन, अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असफल नगर निगम हो या जिला पूर्ति विभाग, अव्यवहारिक है पेट्रोल ना देने और सील लगाने का आदेश
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