सरकारी टैक्स जमा करना सबकी जिम्मेदारी है क्योंकि हमें जो सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है और हम जो अपने हित की मांग करते हैं वो सभी तभी पूरी हो सकती हैं जब हम समय से टैक्स भरें चाहे वह किसी भी विभाग का हो। लेकिन यह भी जरूरी है कि टैक्स ना भरने पर कार्रवाई करने वाला विभाग जैसा कि नगर निगम अपने आप को भी देखें कि वो शासन से मिलने वाली कितनी सुविधाएं नागरिकों को उपलब्ध करा रहा है। उसके यहां नियम विरूद्ध जो घपले हो रहे हैं जिनके चलते नागरिकों को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं उन पर भी रोक लगाएं मगर हो यह रहा है कि नगर निगम द्वारा जो संविदा पर लोग रखे गए हैं वो और संविदा स्टाफ सुविधाएं तो उपलब्ध नहीं करा रहे लेकिन गृहकर जमा न करने पर उत्पीड़न जरूर करते नजर आ रहे हैं। इससे संबंध आए दिन खबरें मीडिया में नजर आती हैं।
अब तो निगम के वसूली दस्ते ने हद ही करके रख दी क्योंकि सरकार युवाओं को बढ़ावा देने के लिए खेलों को प्रोत्सोहित करने के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन नगर निगम ने 40 लाख का बकाया होने पर ही क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का कार्यालय सील कर दिया। जबकि वसूली का टारगेट 31 मार्च तक दिया गया है जिसमें अभी पांच दिन बाकी थे। मेरा मानना है कि क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का कार्यालय सील करना ना तो व्यवस्था के अनुकूल कहा जा सकता है ना युवाओं के हित में क्योंकि जब उसे मार्गदर्शन और सुविधा नहीं मिलेगी तो वो पदक लाने की तैयारियां कैसे कर सकते हैं। कुछ युवाओं के इस कथन से मैं भी सहमत हूं कि क्रीड़ा अधिकारी का कार्यालय सील करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि नगर निगम भी सरकारी है और क्षेत्रीय अधिकारी का कार्यालय भी। इसलिए भी यह उचित नहीं कहा जा सकता। जहां तक आम आदमी की बात है तो इतना ही कहा जा सकता है कि सत्ताधारी और विपक्ष के नेताओं जनप्रतिनिधियों को नगर निगम के अधिकारियों से मिलकर आग्रह करना चाहिए कि पहले निगम सरकारी सुविधाओं के लिए होने वाले काम पूरे कराए फिर अगर कोई समय से कर नहीं देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पहले जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएं विभाग, युवाओं और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नीति के विपरीत जाकर नगर निगम द्वारा क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का कार्यालय सील किया जाना है निंदनीय
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