वैसे तो सेना में शामिल और सीमा की रक्षा कर रहे सैनिकों द्वारा हमारी सुरक्षा और देश की अखंडता के लिए किए जाने वाले योगदान को हम लोग कभी नहीं भूला सकते। उनके सम्मान में हमेशा ही नागरिकों का सिर झुकता रहा है। देश मेें जितने भी युद्ध हुए। उनमें वीरगति को प्राप्त शहीदों को हम समाज और उनका परिवार हमेशा ही याद रखता है। देशभर में अनेको स्थानों पर इनके बलिदान की गौरवगाथा युवा पीढ़ी को समझाने के लिए आयोजन सेना या जनता द्वारा किए ही जाते रहे हैं।
1999 में हुए कारगिल युद्ध को हम कभी भुला नहीं सकते। इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल व शौर्य दिवस मनाया जाता और शहीदों के परिवारों के साथ सरकार और नागरिक उन्हें याद कर उनकी वीरता के किस्से अपने बच्चों को सुनाते हैं। आज पीएम नरेंद्र मोदी जी द्वारा कारगिल दौरा किया गया। तथा कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी गई। जगह जगह श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर हम अपने नायकों को याद कर रहे हैं और उनकी वीरगाथा को युवा पीढ़ी को याद करा रहे हैं जो एक सराहनीय सोच कही जा सकती है क्योंकि इससे भावी पीर्ढ़ी में देश के प्रति समर्पित और बलिदान होने का जज्बा पैदा होता है। कुल मिलाकर मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि हम देश की सीमाओं पर हर कठिन मौसम में अपना फर्ज निभाने और देश की रक्षा के लिए बलिदान होने वाले वीरों को मन से याद कर रहे हैं।
दोस्तों साल भर में कई बार मीडिया में ऐसे मामले देखने पढ़ने सुनने को मिलते हैं कि कुछ बलिदानी सैन्य कर्मियों के परिवारों के समक्ष कठिनाईयां विभिन्न तरीके से उत्पन्न हो रही है। जो सुविधाएं सैनिकों के परिवारों के लिए निर्धारित हैं वो उन्हें नहीं मिल पा रही हैं। शहीद स्मारकों और शहीदों की याद में बनाए गए स्थलों की देखभाल भी सही प्रकार से ना होने की जो बात सामने आती है वो शर्मनाक है। यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि उससे हमारे बच्चों की सोच पर भी गलत असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए दोस्तों शहीदों के प्रति सम्मान रखते हुए श्रद्धांजलि देने के लिए प्रयास करने वाले सभी लोगों से मेरा आग्रह है कि हमें कारगिल दिवस और अन्य दिनों पर बलिदानों को याद कर उत्सव मनाने चाहिए लेकिन इनके परिवारों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए हम सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जहां तक पता चलता है सरकार शहीदों के परिवारों को सुविधाएं देने में पीछे नहीं रहती लेकिन कुछ मौकों पर कुछ अफसर इनके बलिदान को भूलकर जो आनाकानी इनसे संबंध कार्यों में करते हैं उन्हें सुधारने के लिए संबंधित मंत्रालय सीएम और पीएम को सूचना देने में हमे पीछे नहीं रहना चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया से हर बात देश के बड़े व्यक्ति तक आसानी से पहुंचा सकते हैं। इसके लिए हमें इनके प्रति कृत संकल्प रहना होगा। तभी कारगिल दिवस या अन्य आयोजनों की सार्थकता सिद्ध होती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
देश ने किया कारगिल में दुश्मन को धूल चटाने वाले रणबाकुरों को याद, दोस्तों शहीदों के परिवारों की समस्याओं के समाधान का भी हो प्रयास
0
Share.