asd जिम कॉर्बेट में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, टाइगर सफारी पर लगाई रोक – tazzakhabar.com
Date: 13/03/2025, Time:

जिम कॉर्बेट में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, टाइगर सफारी पर लगाई रोक

0

नई दिल्ली 07 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने गत दिवस जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के मामले में सुनवाई की. मामला जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हजारों पेड़ काटने और भ्रष्टाचार से जुड़ा है. खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व ड‍िव‍िजनल फॉरेस्‍ट अधिकारी किशन चंद को कड़ी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को 3 माह के भीतर स्‍टेट्स र‍िपोर्ट दाख‍िल करने के निर्देश भी द‍िए. सीबीआई पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है. वहीं कोर्ट ने बाघ संरक्षण के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कोर क्षेत्र में सफारी पर रोक लगा दी है. हालांकि परिधीय और बफर क्षेत्रों में इसकी अनुमति दी गई है.

दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण कार्यकर्ता और अध‍िवक्‍ता गौरव बंसल की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. इस याच‍िका में नेशनल पार्क में बाघ सफारी और प‍िंजरा बंद जानवरों के ल‍िए एक स्‍पेशल चिड़ियाघर बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी. इस याच‍िका के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की यह कड़ी ट‍िप्‍पणी आई है.

जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है जहां ब्‍यूरोक्रेट्स और राजनेताओं ने लोगों के भरोसे के स‍िद्धांत को कूड़दान में फेंक दिया है.” पीठ ने सख्‍त लहजे में यह भी कहा, “उन्होंने (हरक स‍िंह रावत और क‍िशन चंद) ने कानून की घोर अवहेलना की है और कमर्श‍ियल मकसद के लिए टूर‍िज्‍म को बढ़ावा देने के बहाने ब‍िल्‍ड‍िंग्‍स न‍िर्माण के ल‍िए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की है.” कोर्ट ने कहा क‍ि ज‍िस तरह से वैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख कर रावत और चंद ने दुस्साहस द‍िखाया, उससे आश्चर्यचकित हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा क‍ि वर्तमान मामले में यह संदेह से परे स्पष्ट है कि पूर्व वन मंत्री ने खुद को कानून से परे माना था. वहीं, यह दर्शाता है कि कैसे पूर्व ड‍िव‍िजनल फॉरेस्‍ट अधिकारी किशन चंद ने जनव‍िश्‍वास के सिद्धांत को हवा में उड़ा दिया था. कोर्ट ने कड़ी ट‍िप्‍पणी करते हुए यह भी कहा कि राजनेता और ब्‍यूरोक्रेट्स ने क‍िस तरह से कानून को अपने हाथ में ल‍िया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि बाघों के शिकार में काफी कमी आई है, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त को नकारा नहीं जा सकता. जिम  कॉर्बेट में पेड़ों की अवैध कटाई को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. चंद्र प्रकाश गोयल, सुमित सिन्हा और एक अन्य शख्स को बाघ अभयारण्यों के अधिक कुशल प्रबंधन के लिए सुझाव देने के लिए नियुक्त किया गया है. क्षेत्र के विशेषज्ञों को इस पर गौर करना चाहिए. अदालत ने कहा कि पाखरू में पहले से चल रही सफारी को रोका नहीं जाएगा लेकिन उत्तराखंड में एक बाघ बचाव केंद्र स्थापित किया जाएगा.

कोर्ट ने यह भी कहा, “हमें यकीन है कि कई अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं, लेकिन सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. इसलिए हम और कुछ नहीं कह रहे हैं.”

एमओईएफ एनटीसीए, एमओईएफ सीईसी अधिकारी के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन करेगा, जो कि संयुक्त सचिव और वन्यजीव प्राधिकरण के पद से नीचे नहीं हो. वह नुकसान की भरपाई के लिए उपायों की सिफारिश करेंगे और डैमेज के बहाली की लागत निर्धारित करेंगे.

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680