Date: 26/01/2025, Time:

दिल्ली, बिहार और बंगाल में भूकंप के तेज झटके, चीन में 53 की मौत 38 घायल; रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.1

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नई दिल्ली 07 जनवरी। दिल्ली-NCR, बिहार और पश्चिम बंगाल में मंगलवार सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। वहीं तिब्बत और नेपाल में मंगलवार सुबह-सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। दोनों देशों की सीमा से लगे इलाकों में सुबह छह बजकर 35 मिनट पर आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.1 मापी गई। चीन के तिब्बत प्रांत में आज सुबह आए भूकंप से 53 लोगों की मौत हो गई, जबकि 38 लोग घायल हो गए। चीन की सरकारी मीडिया CCTV के मुताबिक इस भूकंप का केंद्र तिब्बत के शिजांग में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। वहीं, भूकंप के झटके भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए। इसकी जद में सबसे ज्यादा बिहार आया। इसके अलावा नेपाल, भूटान, असम, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस दौरान डरे सहमे लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। इस भूकंप का असर उत्तराखंड में भी दिखा।

बिहार में भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.1 मापी गई. समस्तीपुर, मोतिहारी में समेत कई इलाकों में सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर धरती कांपने लगी. जानकारी के मुताबिक करीब 5 सेकेंड तक धरती हिलती रही. भूकंप इतना तेज था कि लोग दहशत की वजह से घरों से बाहर निकलने लगे.

बताते चले कि चीन-किर्गिस्तान बॉर्डर पर 22 जनवरी 2024 की रात 11.39 बजे 7.2 तीव्रता का भूकंप आया था। दक्षिणी शिनजियांग में आए इस भूकंप का केंद्र जमीन से 22 किमी नीचे था। इस भूकंप में कई इमारतें ढह गई थीं और कई लोग घायल हैं।
भूकंप के बाद 40 आफ्टरशॉक भी दर्ज किए गए थे। भूकंप का सबसे ज्यादा असर उरूम्की, कोरला, काशगर, यिनिंग में हुईआ था।

फिलहाल भारत में भूकंप से जान माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। यूएसजीएस भूकंप के मुताबिक, भूकंप का केंद्र लोबुचे से 93 किमी उत्तर पूर्व में था। फिलहाल किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। हालांकि, सात से ऊपर की तीव्रता के भूकंप के झटक खतरनाक श्रेणी में आते हैं।

भूकंप आने की वजह?
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स मौजूद हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जिस भी जगह पर ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहा जाता है. जब ये प्लेट्स बार-बार टकराती हैं तो इनके कोने मुड़ते हैं. ज्यादा दबाव बनने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे दबी एनर्जी बाहर आने का रास्ता ढूंढती है और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

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