अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे कुछ भारतीयों में से 79 पुरूष 32 महिलाएं और 13 बच्चों को वहां के राष्ट्रपति द्वारा अमेरिकी सैन्य विमान से भारत भेज दिया है। जिसे लेकर अब तरह तरह के मुददे तो उठ ही रहे हैं आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा का कहना है कि अमेरिका में भारतीयों को प्रताड़ित करने का सरकार विरोध करे। इसके संदर्भ में उनके द्वारा 2013 की एक घटना का हवाला भी दिया जा रहा है। तो कुछ कथित उदारवादी भी इसी बात को उठाकर इसे सरकार की नाकामयाबी के तौर पर देख रहे बताए जाते हैं। सबकी अपनी सोच और काम करने का तरीका है। लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सभी को अधिकार है। इसलिए किसी की बात का विरोध तो नियमानुसार ही किया जा सकता है और वो हमारी सरकार को करना चाहिए। देशवासियों के सामने जो भारतीय वहां रह रहे हैं उनके बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। क्योंकि डांकी रास्ते से 15 हजार किमी की विभिन्न देशों की यात्रा कर अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे सतवीर करनाल निवासी की तो खबर के अनुसार चार दिन में ही वापसी हो गई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले इन भारतीयों की हुई वापसी को कोई किसी भी दृष्टि से देखता हो मगर मुझे लगता है कि जिस प्रकार से अमेरिकी सेना के विमान से भारतीयों को उनके देश भेजा गया है इसमें ना तो प्रधानमंत्री के दौरे से संबंध करके देखा जाना चाहिए क्योंकि यह तो अमेरिकी सरकार का अच्छा निर्णय हो सकता है कि डंकी रास्ते से गए लोगों को वहां रोककर उनका उत्पीड़न करने की बजाय उन्हें वापस भेजा जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने 41 लाख का कर्ज लेकर भेजा था। कुछ कह रहे हैं कि 40 से 50 लाख रूपये खर्च कर अमेरिका भेजा था। मैं उनकी बात को तो गलत नहीं मानता लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि जितना रूपया खर्च करके और खतरे उठाकर परिवार के सदस्यों को लोगों ने इसमें लगे दलालों की बातों में आकर अमेरिका भेजा। इतना रूपया लगाकर तो कोई व्यवसाय उन्हें करा सकते थे और अपनी मदद से उसे चलवाने में सहयोग कर सकते थे। लेकिन ऐसा ना कर जो यह कदम उठाया गया। उसका हश्र तो कभी ना कभी तो ऐसा ही होना था क्योंकि गलत काम कभी सही नहीं हो सकता। हमें उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि जो हम अपने देश में विदेशियों को नहीं करने देंगे दूसरी जगह भी ऐसा ही होगा। यह उन लोगों को सोचना होगा जो अपने बच्चों को मोटी रकम देकर दलालों के झांसे में आकर विदेश भेजते हैं।
इस संदर्भ में दैनिक अमर उजाला में छपी एक खबर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संकल्प और नीतियों का असर दिखना शुरू हो गया है। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल करते हुए अमेरिकी प्रशासन ने सी-17 सैन्य विमान से 104 भारतीय लोगों के एक समूह को अमेरिका से गत दिवस वापस भेज दिया है। 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान गत दोपहर अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। सूत्रों ने इन बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फ्लाइट दोपहर 1.55 बजे लैंड हुई। इन निर्वासित किए गए लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं। हालांकि अभी निर्वासित लोगों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
इससे पहले की रिपोर्टों में दावा किया गया था कि अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 205 अवैध अप्रवासियों को ले जा रहा था।
यह अवैध भारतीय अप्रवासियों का पहला जत्था है जिसे अमेरिकी सरकार ने निर्वासित किया है। बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है। सी-17 सैन्य विमान से भारत लौटाए जा रहे प्रवासियों के बारे में आई रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों पर अमल करते हुए अमेरिका आव्रजन कानूनों को कड़ा कर रहा है।
पहले 15 दिन में इन देशों के लोगों को भी डिपोर्ट किया जा चुका है
बता दें कि ट्रंप प्रशासन बीते दो हफ्ते में सैन्य विमानों का उपयोग कर ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास में कई अवैध प्रवासियों को निर्वासित किया है। अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमान भेजने वाले गंतव्यों में भारत अब तक का सबसे दूरस्थ स्थान है।
क्या विदेश मंत्रालय ने निर्वासन पर चुप्पी साधी?
यह भी दिलचस्प है कि भारतीयों को ले जाने वाले निर्वासन विमान पर नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने सीधी टिप्पणी से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई का संदेश स्पष्ट है। अवैध प्रवास का जोखिम उठाना ठीक नहीं है। यह दिखाता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों पर कोई नरमी दिखाने के मूड में नहीं हैं। अमेरिकी प्रशासन बीते दो हफ्ते से लगातार कार्रवाई कर रहा है लेकिन प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने की बड़ी कार्रवाई के तहत पहली बार भारत में निर्वासन हो रहा है।
एक हफ्ते बाद पीएम मोदी के अमेरिका दौरे का कार्यक्रम
अमेरिकी प्रशासन ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है जब लगभग एक हफ्ते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर जाने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। खबर के मुताबिक पीएम मोदी 12-13 फरवरी को वॉशिंगटन की यात्रा कर सकते हैं। भारत और अमेरिका इस दौरे से जुड़ी योजनाओं को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति ट्रंप की नीति पर क्या कहा?
दोनों देशों के रिश्ते और निर्वासन के संबंध में बीते 27 जनवरी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इसके बाद ट्रंप ने कहा था कि भारत अमेरिका से अवैध प्रवासियों के निर्वासन के मामले में वही करेगा जो सही होगा। पिछले महीने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत अवैध आव्रजन का विरोध करता है, क्योंकि इसका संबंध कई तरह के संगठित अपराध से है।
नागरिकों की संख्या पर फिलहाल बात करना जल्दबाजी
विदेश मंत्रालय साफ कर चुका है कि नई दिल्ली उन सभी भारतीयों को वापस लेगा, जो या तो अमेरिका में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रह चुके हैं या बिना वैध दस्तावेज के वहां हैं। हालांकि, उन्हें सरकार के साथ दस्तावेज साझा करना होगा। ताकि उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि हो सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वास्तव में भारतीय हैं। जायसवाल के अनुसार अमेरिका में रह रहे अवैध भारतीय प्रवासियों की संख्या के बारे में फिलहाल बात करना जल्दबाजी होगी।
अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों पर सख्ती का संकल्प
खबरों के मुताबिक पिछले वर्ष अक्तूबर में अमेरिका ने अवैध रूप से देश में रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस भेजने के लिए एक चार्टर्ड विमान किराए पर लिया था। अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने कहा है कि वह अमेरिकी आव्रजन कानूनों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बताते है कि अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अवैध प्रवासी भारतीय हैं। इन्हें किसी ने अपनी जमीन बेच या गहने गिरखी रखकर भेजा। कुछ ने और तरीके से रूपया जुटाया तथा जाने वाले भूखे प्यासे जंगल और नदियों को पार कर डंकी के माध्यम से अमेरिका पहुंचे और कुछ रास्ते में ही पकड़े गए मगर जो पैसा दलालों की जेब में चला गया वो वापस होने का रास्ता किसी को नजर नहीं आता है। मेरा मानना है कि भारत सरकार 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ के लोगों से गहन पूछताछ करे और फिर जो आम आदमी को एक प्रकार से लूटकर यह एजेंट अमेरिका व अन्य देशों में भेजते हैं उनके खिलाफ की जाए कार्रवाई। अगर कानूनों को ध्यान में रख देखें तो अमेरिका का यह कहना बिल्कुल सही है कि अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले एजेंटों पर हो कड़ी कार्रवाई। क्योंकि जब तक जड़ों पर इस मामले में चोट नहीं की जाएगी तब तक यह विदेश जाने वालों की जान से खिलवाड़ और उनके परिवारों की भावनाओं से खिलवाड़ कर उन्हें कंगाली की ओर धकेलते रहेंगे। विपक्षी नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि ट्रंप और मोदी के संबंध अच्छे हैं इसीलिए प्रवासियों को विमान से भेजा गया है। अगर उन्हें विरोध करना है तो इस काम में लगे दलालों का विरोध करते हुए उन्होंने जो पैसा लिया है वो वापस कराने के लिए प्रदर्शन करना चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अवैध रूप से अमेरिका व अन्य देशों में भेजने वाले एजेंटों पर हो सख्त कार्रवाई, वापस आए लोगों से सरकार करे गहन पूछताछ, निंदा करने की बात करने वाले राजनीति बंद करें, दलालों से पैसे वापस कराने ?
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