समाज में आए दिन मुद्दा छोटा हो या बड़ा खासकर कम पढ़े लिखे जिन्हें कुछ लोग अपने को श्रेष्ठ और सामने वाले को अनपढ़ की श्रेणी में खड़ा कर यह कहना कि इनकी वजह से छवि हो रही है खराब और देश में हो रहे हैं घोटाले को अपना अधिकार समझ लिया गया है।
वैसे तो सबको अपनी अपनी बात लोकतंत्र में कहने और काम करने का अधिकार प्राप्त है मगर यही सब बातें सामने वाले पर भी सही उतरती है इसलिए अपने आपको अव्वल दर्शाने के चक्कर में कम पढ़े लिखों को अनपढ़ बताकर अपनी कमियां छिपाना बंद होना चाहिए। क्योंकि आर्थिक समस्याएं और कुछ अन्य कारणों से जिन्हें हम अनपढ़ समझ रहे हैं वो आसानी से आगे नहीं बढ़ पाते हैं और अपनी स्थिति स्पष्ट करने का समाज के तथाकथित बुद्धिजीवी उन्हें देना नहीं चाहते इसलिए साधन संपन्न परिवार में पैदा हुए लोग परिवार की विरासत संभालने के बाद अपने आप को श्रेष्ठ समझने लगते हैं। जबकि मेरी निगाह में श्रेष्ठ वो नहीं सफल वो व्यक्ति है जो आर्थिक कारणों के कारण पढ़ नहीं पाता और व्यवसाय के लिए पंूजी नहीं होती। फिर भी छोटे छोटे कार्य कर अपने परिवार का भरण पोषण उसके द्वारा मजबूती से किया जाता है और उसे जबरदस्ती किसी मुददे में फंसाने की कोशिश ना की जाए तो वह सबसे सफल व्यक्ति है जिसे हम अनपढ़ बताते हैं। वैसे तो इसके बहुत से उदाहरण हो सकते हैं लेकिन फिलहाल मैं स्वयंभू काबिल समझने वाले लोगों का ध्यान वर्तमान समय में सर्दी गर्मी बरसात में सड़क किनारे तख्त डालकर व्यवसाय करने वालों खासकर जो लोग नारियल पानी का व्यापार कर रहे हैं की ओर दिलाना चाहता हूं। दो तीन हजार रूपये के नारियल पानी बेचने वाले इन छोटे व्यापारियों का नेटवर्क कितना मजबूत है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर सौ लोग इस काम को कर रहे हैं तो इन सबके यहां नारियल पानी का रेट एक ही होगा। अगर दिन में दो बार कुछ कमी होने के चलते रेट बदलते हैं तो 20 किमी दूर जो बैठा है वो भी एक रेट बताएगा। यह छोटे दुकानदार 60 से 70 रूपये का नारियल पानी बेचने के लिए हर तरह से भुगतान लेने को तैयार रहते हैं। आप एक नारियल लो या 100 अगर आप पर पैसे नहीं है तो यूपीआई से भुगतान कर सकते हैं। तो लाखों करोड़ों का रोज बिजनेस करने वाले यह समझ लें कि आपकी निगाह में जो अनपढ़ है वो नई तकनीकी और समाज की मुख्यधारा में आगे बढ़ने में किसी से कम नहीं है। इसलिए तथाकथित स्वयंभू व्यक्ति सामने वाले को अनपढ़ समझना बंद करो। अभी पिछले दिनों नकल को लेकर एक बड़े पद के अधिकारी बैठे कि यह सब नकल माफिया और इसमें शामिल लोग अनपढ़ और जाहिल है। जब उनसे पूछा गया कि पिछले एक साल में नकल के मामलें में कितने जाहिल पकड़े गए तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। इस मुददे पर कई अधिकारी निलंबित हुए तो कई प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लोग इसमें चर्चित हुए मगर जिसे यह जाहिल गंवार कहते हैं वो गिनती के भी उभरकर सामने नहीं आए। समाज में भ्रष्टाचार काम में लापरवाही के लिए अगर सौ मुददे उभरकर सामने आते हैं तो 90 में धनवान और अफसर सामने आते हैं। गरीब तो इनके लालच में फंसाने की चर्चाएं मौखिक रूप से सुनने को मिलती है। साधनविहीनों को अनपढ़ बताकर उन्हें बदनाम करना अब बंद होना चाहिए। क्योंकि आदमी में पढ़ाई ही नहीं बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता सबसे बड़ी ताकत है साक्षरता के साथ साथ।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
आर्थिक रूप से कमजोर और साधनविहीन लोगों को अनपढ़ बताकर घेरना बंद करो, किसी भी पढ़े लिखे से ज्यादा काबिल होते हैं निरक्षर
0
Share.