asd मलेरिया दिवस पर विशेष! चारों ओर गंदगी स्वच्छता का अभाव कैसे मलेरिया से मुक्त होंगे प्रदेश और राहत मिलेगी आम आदमी को

मलेरिया दिवस पर विशेष! चारों ओर गंदगी स्वच्छता का अभाव कैसे मलेरिया से मुक्त होंगे प्रदेश और राहत मिलेगी आम आदमी को

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इस वर्ष 12 और राज्यों में मलेरिया से जंग के चलते 28 प्रदेश होंगे इस बीमारी से मुक्त। लगभग 100 साल पुरानी इस बीमारी का देश में टीके को शायद पूर्ण अनुमति नहीं मिली है उसके बावजूद यह मादा मच्छर के काटने से होने वाली मलेरिया के संदर्भ में ऐसा दावा अगर किया जा रहा है तो हो सकता है कि कुछ ना कुछ आविष्कार चल रहे हैं। बताते हैं कि मलेरिया के मरीज के शरीर मांसपेशियों में दर्द थकान जैसे लक्षण, सर्दी से बुखार इसमें हो जाते हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसे लक्षण दिखाई देते ही मरीज को डॉक्टर के पास जाकर दवाई लेनी चाहिए और जब तक यह पूरी तौर पर ठीक ना हो दवाई नहीं छोड़नी चाहिए। सोते समय कपड़ा ओढ़े या मच्छरदानी लगाएं। इसके लिए जागरूकता भी कई स्तर पर चल रही है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि मलेरिया के बीमारों को लेकर चर्चा होने लगी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अभी तक इस साल केस मिलने के बाद भी फॉगिंग कराने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। कागजों में हो रही हो तो बात दूसरी है वरना मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों को समूल नष्ट करने हेतु जो इंतजाम सरकारी स्तर पर होने चाहिए वो होते नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि शहर हो या गांव सब जगह गंदगी का साम्राज्य नजर आ रहा है और यही बीमारी का मुख्य कारण भी बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में लड़ाई अभी बाकी है। बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवा मिलने का अधिकार सबका है। प्रभावी देशों को तत्काल स्वास्थ्य संबंधी लेने में समुदाय को शामिल करना चाहिए। बताते हैं कि हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस साल सरकार को इस अभियान के लिए ग्लोबल फंड के लिए 551 करोड़़ की निधि मिली है। 24 से 2027 तक राष्ट्रीय केंद्रीय वैक्टर जनहित नियंत्रण रोग चलाया जाएगा। मलेरिया उन्मूलन परियोजना का तीसर और अंतिम चरण दिल्ली अरूणाचल प्रदेश असम मणिपुर मिजोरम मेघालय त्रिपुरा नागलैंड झारखंड ओढ़िसा और महाराष्ट्र में शुरू किया जाएगा। इससे जुड़े लोगों का कहना है कि एक साल में तीस फीसदी मरीज मलेरिया के कम हुए।
सही गलत क्या है यह तो इसे चलाने वाले ही जान सकते हैं लेकिन दावे कितने ही हो रहे हो मगर यह कहने में हर्ज महसूस नहीं हो रहा है कि सरकार जितनी सुविधाएं फंड संबंधित विभागों को दे रही है उसके हिसाब से इस बीमारी के उन्मूलन में लगे लोगों द्वारा कार्य नहीं किया जा रहा। मेरा मानना है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी सभी प्रदेशों के सीएम के माध्यम से जिलों के स्वास्थ्य और सफाई से संबंध अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर अंकुश लगाते हुए उन्हंे टाइट करें और जरूरत हो तो कार्रवाई भी की जाए।

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