asd कोई तो बताए: जाम से परेशान आम आदमी क्या करे! रोडी बजरपुर बेचने स्कूल वालों ई रिक्शा और अवैध निर्माणों से लगने वाले जाम के प्रति क्यों नहीं होती कार्रवाई

कोई तो बताए: जाम से परेशान आम आदमी क्या करे! रोडी बजरपुर बेचने स्कूल वालों ई रिक्शा और अवैध निर्माणों से लगने वाले जाम के प्रति क्यों नहीं होती कार्रवाई

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शहर में लगने वाले जाम से आम और खास बड़े बुजुर्ग महिला पुरूष हर कोई परेशान है। जिम्मेदार अफसर बड़े बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन असलियत में यह सब कागजों पर ही नजर आ रहा है क्योकि मेरठ विकास प्राधिकरण नगर निगम और आवास विकास जो इसके लिए सबसे बड़े जिम्मेदार है। उनके द्वारा इस बारे में काम कम घोषणाएं ज्यादा की जा रही है। रही पुलिस के बारे में क्या कहना क्योकि नियम कानून सब इनके हिसाब से तय होते हैं वरना बाजारों मे ई रिक्शा प्रतिबंध होने के बाद भी नागरिकों को परेशान करती नजर नहीं आती। जाम के सबसे बड़े कारण शहर के स्कूल जिनमें बच्चों को छुटटी में छोड़ने की अव्यवस्था जाम का प्रमुख कारण बनती है उसे सुधारने का काम पुलिस करने को तैयार नहीं है क्येांकि जब कोई हंगामा या हादसा होता है तो एक दो दिन चहलकदमी नजर आती है लेकिन फिर सब शांत हो जाते हैं। व्यवस्था बनाने में सक्षम विभाग इन स्कूल संचालकों से बात क्यों नहीं करते यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। इनसे भी बड़ी समस्या सड़क पर रेत रोडी बदरपुर डालकर व्यापारी बने हैं क्योंकि जिसे देखों वही सड़क पर निर्माण सामग्री डाल देता है और फिर जाम लगे या नागरिक परेशान हो उसकी बला। अगर कोई आदमी अपना मकान बना रहा है या किसी ने कूड़ा डाल दिया तो नगर निगम अधिकारी उसका लाखों का चालान कर सकते हैं मगर सड़कों पर पड़ी रेत रोडी और अवैध निर्माणकर्ताओं द्वारा सड़क पर डाल दी जाती है मगर उनके खिलाफ नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री जी अगर ध्यान से सोचा जाए और आम आदमी से फीडबैक लिया जाए तो पता चलेगा कि सरकार को अरबो रूपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे उपर दिए गए विभागों के कारण सड़कों पर जाम की समस्या पैदा हो रही है। आश्चर्य इस बात का है कि जब इनके अधिकारियों से बात की जाती है तो उनका कहना होता है कि आदमी कम है। राजनीतिक दबाव हैं सीमाएं कम है। अगर इनकी सीमाएं कम हैं तो विशेष लोगों के लिए ही क्यों। क्योंकि आम आदमी का छोटा सा घर तोड़ने में तो यह देर नहीं लगाते। आम आदमी के अधिकारों और कानून का इस्तेमाल अधिकारी अपने हिसाब से करते हैं इस बारे में अदालत के आदेशों से भी पुष्टि होती है। सीएम साहब इन मठाधीशों से तो कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। अब तो आप ही मंडलायुक्त और डीएम के माध्यम से व्यवस्था बनवाकर आम आदमी को राहत दिला सकते हैं। अधिकारी तो दिन रात काम करते हैं। कुल मिलाकर कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि प्रदेश के आम आदमी को जाम से राहत दिलाने के लिए इन विभागों के अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी तभी सरकार की मंशा के तहत नागरिकों को सुविधाएं मिल पाएंगी।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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