asd घपले और घोटाले तभी समाप्त हो सकते है जब हम अपने आसपास के संगठनों में विभिन्न प्रकार से हो रहे गबन को रोकने में सफल हो!

घपले और घोटाले तभी समाप्त हो सकते है जब हम अपने आसपास के संगठनों में विभिन्न प्रकार से हो रहे गबन को रोकने में सफल हो!

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आज के समय में जहां देखों राजनीति और घोटालेबाजी तथा दलबदल और पार्टी के कैंडर को लेकर चर्चाऐं व्याप्त है। हर कोई जहां चार लोग मिले नहीं इन बिन्दुओं को लेकर खड़े खड़े ही विस्तार से चर्चाऐं होने लगती है। दलबदल राजनीति और कैंडर ये तो बड़े राजनीतिक दलों का विषय है फिलहाल हम चर्चा घोटालों और घपलों पर करने जा रहे है। जो नजर आ रहा है बड़े स्तर पर ही नहीं छोटे स्तर पर भी कुछ लोग जो सफेदपोश होने के साथ साथ बड़े भी है और सरमायेदार दौलतमंद भी। उनमें से कुछ के घोटाले मौखिक चर्चाओं में जग जाहिर होने के बाद भी पता नहीं वो कौन से कारण है कि समाजहित में काम करने वाली कुछ संस्थाओं में इनकी विशेष दखलअंदाजी नजर आती है। ऐसा क्यों है यह तो करने वाले और उन्हें जो लोग संरक्षण देते है और संस्था में स्थान और इन आरोपियों की करनी पर पर्दा डालने वाले ही जाने। मगर मुझे लगता है कि अगर हम चाहते है कि बाकई घोटाले और घपले खत्म हो तो हमें आरोप लगाने से पहले अपने इर्दगिर्द खेल और मनोरंजन तथा समाजसेवा में काम कर रहे संगठनों से इस श्रेणी में आने वाले सफेदपोशों को बाहर और इनका पर्दाफाश करने का प्रयास करना होगा। क्योंकि एक फिल्मी गाने कोई पत्थर से ना मारो मेरे दिवाने को पहला पत्थर वो मारे जिसने प्यार न किया हो। को ध्यान में रखकर हमें भी पहले उच्चस्तरीय कुछ लोगों पर अंगुली उठाने से पूर्व अपने आसपास संचालित हो रही संस्थाओं से फर्जी बिल बनवाकर सामान खरीदने का नाटक करने या संस्थाओं के पैसे में घपला करने वालों को बाद होने वाली जांचों को सामदाम की नीति अपनाकर उनमें फाईनल रिपोर्ट लगवा लेने वाले ऐसे लोगों को बेनकाब करना होगा जो समाज के आम आदमी के हितों पर विभिन्न प्रकार से कुठाराघात कर रहे है।
कुलमिलाकर कहने का आशय सिर्फ इतना है कि जब हम किसी और की तरफ एक अंगुली उठाते है तो तीन हमारी ओर उठती है वो तो उठेगी लेकिन वो साफ सुथरा दामन दर्शाने के लिए उठे तो ज्यादा अच्छा है। और वैसे भी ग्रामीण कहावत पहले हम अपने आप को दुध का धुला बनाये फिर औरों पर अंगुली उठाये। ये बात किसी भी रूप से गबन करने वाले संगठनों को सोचनी होगी। अभी हम यहां किसी संस्था व संगठन के नाम की चर्चा तो नहीं कर रहे है लेकिन जैसे ही किसी संगठन के ऐसे मामलों से संबंध होने की खबर अगर मिलती है तो हम देश और समाजहित में उसे पाठकों के सामने लाने और घोटालेबाजों का पर्दाफाश करने में देर नहीं लगायेंगे। लोगों में यही भी चर्चा थी कि दागियों को उन्हीं संस्थाओं में पुनः पद क्यों दिये जाते है जिनमें वो घपला किये होते है।

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