asd अनिल कुमार को मंत्री बनाकर रालोद ने की पश्चिम यूपी के दलितों को साधने की पहल

अनिल कुमार को मंत्री बनाकर रालोद ने की पश्चिम यूपी के दलितों को साधने की पहल

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मुजफ्फरनगर 06 मार्च। मंत्री बनाए गए अनिल कुमार अनुसूचित जाति की राजनीति में सबसे बड़े खिलाड़ी साबित हुए। कैबिनेट में पहुंचने वाले वह पहले विधायक हैं। उनसे पहले उमा किरण, डॉ. यशवंत सिंह और दीपक कुमार राज्यमंत्री रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी के दलित मतों में सेंधमारी के लिए उन पर एनडीए ने दांव चला है।

देश-प्रदेश की सियासत में खास पहचान रखने वाले मुजफ्फरनगर में अनुसूचित जाति के लिए जानसठ और चरथावल सीट आरक्षित रही। वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद जानसठ सीट का आधा हिस्सा मीरापुर और आधा खतौली में समाहित कर दिया गया। चरथावल से आरक्षण का दर्जा पुरकाजी सीट को दिया गया। अनुसूचित जाति की राजनीति का केंद्र पुरकाजी बन गया। पूर्व मंत्री उमा किरण के साथ रहकर राजनीति शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

वर्ष 2007 में चरथावल सुरक्षित सीट से बसपा के टिकट पर अनिल कुमार ने 35417 वोट हासिल कर भाजपा के रामपाल सिंह को 1873 मतों से हरा दिया था। दिलचस्प बात यह रही कि तत्कालीन मंत्री उमा किरण सिर्फ 15425 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रही थीं।

वर्ष 2012 में परिसीमन के बाद सुरक्षित सीट पुरकाजी बनाई गई। बसपा के टिकट पर अनिल कुमार ने 53491 वोट हासिल किए और कांग्रेस के पूर्व मंत्री दीपक कुमार को 8908 मतों से हराया। सपा प्रत्याशी उमा किरण तीसरे और भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्राची आर्या चौथे स्थान पर रही थीं।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साल 2017 में भाजपा की लहर में हुए चुनाव में तीसरी बार बसपा के टिकट पर ही अनिल मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा के प्रमोद ऊटवाल के सामने हार गए थे। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री दीपक कुमार और तीसरे स्थान पर अनिल कुमार रहे थे। पूर्व मंत्री उमा किरण की जमानत जब्त हो गई थी।

सहारनपुर जिले के ताहरपुर गांव में मोतीराम के परिवार में 1975 में जन्मे अनिल कुमार अनुसूचित जाति (दलित) से आते हैं। विधानसभा की आधिकारिक जानकारी के अनुसार अनिल कुमार की शिक्षा इंटरमीडिएट है। मुख्य रूप से कृषि का व्यवसाय करने वाले कुमार 2007 और 2012 में विधायक चुने गये थे और 2022 में वह तीसरी बार निर्वाचित हुए।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अनिल कुमार सपा में शामिल हुए। गठबंधन में पुरकाजी सुरक्षित सीट रालोद के हिस्से में चली गई, जिसके चलते वह रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़े और भाजपा के प्रमोद ऊटवाल को हरा दिया।
जिले की राजनीति में अनुसूचित जाति के कई नाम चमके। कांग्रेस से पूर्व मंत्री दीपक कुमार, पूर्व मंत्री उमा किरण के बाद अब पुरकाजी विधायक अनिल कुमार को ही मंत्री बनाया गया है। कैबिनेट में पहुंचने वाले वह पहले विधायक हैं। कुमार को राष्ट्रीय लोकदल ने मंत्रिमंडल में शामिल कराकर 2024 के लोकसभा चुनाव में दलित मतदाताओं को साधने की जुगत की है।

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