बर्लिन, 25 नवंबर। बढ़ते तापमान व वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ सकता है। तत्काल कदम नहीं उठाए तो इससे हर साल तीन करोड़ लोग मारे जा सकते हैं। जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के शोध में यह आशंका जताई गई है। शोध विज्ञान पत्रिका न्यूज मेडिकल लाइफ साइंस में प्रकाशित हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने पाया, वायु प्रदूषण और अधिक तापमान से जुड़ी वार्षिक मृत्यु दर सदी के अंत तक अनियंत्रित हो सकती है। प्रदूषण से संबंधित मौतें पांच गुना, जबकि बढ़ते पारे से संबंधित मृत्यु दर सात गुना तक बढ़ सकती है। इससे सदी के अंत तक दुनिया की 20 आबादी यानी हर पांचवां शख्स गंभीर स्वास्थ्य जोखिम झेलने को मजबूर होगा। भविष्य में तापमान से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम वायु प्रदूषण से जुड़े खतरों से ज्यादा होगा।
एशिया पर असर ज्यादा अध्ययन भविष्य की मृत्यु दर में क्षेत्रीय अंतर दिखाते हैं। दक्षिण और पूर्वी एशिया में वायु प्रदूषण से ज्यादा मौत होने का अनुमान है। क्योंकि सदी के अंत तक इस क्षेत्र में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। पश्चिमी यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया में गर्मी बढ़ने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे मौत का जोखिम बढ़ेगा। वहीं अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान बदलाव होने लगे हैं।
तापमान
शोधार्थियों ने 2000 से 2010 के बीच हर साल बढ़ती गर्मी के कारण औसतन 16 लाख लोग मारे गए। तापमान और बढ़ा या यही हाल रहे तब भी सदी के अंत तक यह आंकड़ा सात गुना की वृद्धि के साथ 1.08 करोड़ हो जाएगा।
प्रदूषण
शोधार्थियों ने पाया, 2000 से 2010 के बीच हर साल वायु प्रदूषण के कारण औसतन 41 लाख लोग मारे गए। वायु प्रदूषण और बढ़ा या यही हाल रहे तब भी सदी के अंत तक यह आंकड़ा पांच गुना बढ़कर 1.95 करोड़ हो जाएगा।