नई दिल्ली 14 जनवरी। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर डॉक्टरों से वसूली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए, उत्तरी-पश्चिम जिला पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी स्थित सिढ़पुरा गांव के प्रधान समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ये डॉक्टरों को धमकी भरे पत्र भेजकर रुपयों की मांग करते थे। एक डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने यह बड़ी कार्रवाई की है।
इनके कब्जे से पुलिस ने आठ स्मार्ट फोन, तीन बटन वाले फोन, सिमकार्ड, 12 एटीएम, तीन लैपटॉप, 140 आगे दूसरे डॉक्टरों को भेजने वाले पत्र व अन्य सामान बरामद किए हैं। पुलिस पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई कर रही है। आरोपितों की पहचान उत्तर प्रदेश स्थित मैनपुरी के गांव सिढ़पुरा निवासी सबल सिंह, गाजियाबाद के ऋषि उर्फ राहुल शर्मा, आगरा के हर्ष उर्फ आकाश व गाजियाबाद निवासी अरुण शर्मा के रूप में हुई है। सबल सिंह 2021 से अपने गांव का प्रधान है।
उत्तरी-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त भीष्म सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपितों ने बताया कि लॉरेंस विश्नोई गिरोह से इनका कोई संबंध नहीं है। इन्होंने दिल्ली के 10 डॉक्टरों को लॉरेंस विश्नोई गिरोह के नाम पर धमकी भरे पत्र भेजे थे। वसूली से पहले यह मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करते थे। इस काम को छोड़कर आरोपितों ने वसूली की योजना बनाई। फिर इन्होंने दिल्ली के दस बड़े अस्पताल के डॉक्टरों को वसूली के लिए पत्र भेज दिए।
नॉर्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक दीपचंद बंधु अस्पताल के सीएमओ डॉ. अनिमेष ने लॉरेंस बिश्नोई की ओर से वसूली का एक लेटर मिलने की शिकायत भारत नगर थाने में की थी। उन्होंने बताया कि लेटर में एक बैंक अकाउंट दिया हुआ था। इसमें रंगदारी की रकम डालने के लिए कहा गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपियों ने करीब 10 डॉक्टरों को इसी तरह लेटर भेजकर रुपये मांगे हैं। भारत नगर थाने की टीम ने सबसे पहले उस अकाउंट की पड़ताल की, जिसमें रकम डालने के लिए कहा गया था। छानबीन के बाद अकाउंट होल्डर का पता फर्जी निकला, लेकिन खाते से अटैच मोबाइल नंबर पर एक एलपीजी गैस कनेक्शन होने का पता चला। उसके आधार पर पुलिस ने अकाउंट होल्डर अरुण वर्मा को गाजियाबाद से दबोच लिया।
अकाउंट की जांच से पता चला कि नवंबर और जनवरी में तीन बार इससे शराब मंगवाई गई थी। उसके आधार पर पुलिस ने ऋषि उर्फ राहुल शर्मा को दबोच लिया। ऋषि ने बताया कि 2015 तक उसने अपनी कंपनी चलाई। इसके साथ सबल सिंह औप हर्ष काम करते थे। घाटा होने के बाद 2015 में कंपनी बंद कर दी थी। इसके बाद सबल और हर्ष ने ऋषि के साथ मिलकर मोबाइल टावर के नाम पर ठगी शुरू कर दी। मगर, पिछले कुछ समय से लॉरेंस बिश्नोई के नाम का बॉलिवुड से लेकर देश-विदेश तक फैले टेरर और मीडिया की सुर्खियों को देखकर लॉरेंस के नाम पर डॉक्टरों से वसूली की योजना बनाई।
जांच में पता चला कि सबल सिंह अपने गांव का 2021 में प्रधान बन गया था। 2019 में उसे और बाकी आरोपियों को पुलिस ने मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया था। सबल, ऋषि और हर्ष के खिलाफ एक-एक मामला दर्ज है।