कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि देश में दो विचाराधाराओं के बीच लड़ाई है। जहां एक हिंदुस्तान एक फीसदी अमीरों का है जो गरीबों की जेब से रूपये निकाल रहा है। नफरत व हिंसा फैला रहा है। मैं इनसे डरे हुए बेरोजगारों व किसानों को न्याय दिलाने निकला हूं। मेरी यात्रा का लक्ष्य है कि नफरत व हिंसा के खिलाफ देश इंडिया गठबंधन व कांग्रेस के साथ उठ खड़ा हो। अगर एक नजर से देखें तो यह तो राहुल गांधी का विचार रहा लेकिन सही मायनों में हर क्षेत्र में दो ही तरह की बाते हैं। ध्यान से देखें तो रंगों में काला और सफेद अपने आप में महत्वपूर्ण होता है बाकी रंगों का प्रभाव तो होता है जो जलवा सफेद और काले का है। उसका तो कोई जवाब नहीं है। इसी प्रकार देश में आए दिन पढ़ने सुनने को मिलता है कि फलां जगह जातीय संघर्ष हुआ। लेकिन मेरा मानना है कि जाति तो अगर ध्यान से देखें तो दो ही है। एक गरीब और अमीर। बाकी तो लोग वक्त के अनुसार अपने हिसाब से इस्तेमाल करते है। क्योंकि जिसे हम अपने से छोटा समझते हैं अगर वह उद्योगपति या पुलिस प्रशासनिक अधिकारी है तो उसके साथ बैठकर खाने में हम शान समझते है। अगर वह गरीब है तो उससे दूरी बनाते है। आज एक विशेष वर्ग अल्पसंख्यकों में शामिल एक जाति का नाम लेकर दूरी बनाने की बात करता है और उस पर कई तरह के आरोप लगाए जाते हैं लेकिन जब कहीं फायदे की बात होती है तो वो आरोप लगाने वालों के लिए अपने जाति से भी बढ़कर हो जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि देश में गरीब और अमीर सिर्फ दो जातियां है। बाकी तो चर्चा है।
राहुल गांधी सहित अगर सभी राजनीतिक दल और उनके नेता चाहते हैं कि जाति प्रथा और इसे लेकर लगाए जाने वाले आरोप प्रत्यारोप खत्म हो तो हमें गरीब अमीर का भेदभाव मिटाना होगा। और जिस दिन यह समाप्त हो गया राहुल जी हर विचारधारा एक होगी क्योंकि तब गरीब अमीर सब एक ही सुर में बोलते हुए एक घाट शेर बकरी पिएंगे पानी वाली कहावत को चरितार्थ करते नजर आएंगे।
राहुल जी इसलिए आप भी प्यार और एकता का संदेश देने वाली यात्रा से दो विचारधाराओं को एक करना चाहते हैं तो कुछ ऐसा करिए कि अमीर गरीब के बीच खाई कम हो जाए। मेरा मानना है कि नफरत नाम की चीज देश से सबके सहयोग से दूर होते देर नहीं लगेगी।
राहुल जी दो विचारधाराएं ही नहीं देश में गरीब अमीर दो ही जातियां हैं, इस भेदभाव को मिटाइए नफरत समाप्त हो जाएगी
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